भाग - 42

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जीवन की सभी करामातों ने मुझे और भी अधिक मजबूत बना दिया था,अभी अभी मैं छुट्टी से वापस आया था और आके अपने कमरे में बैठा हुआ सोच रहा था की आगे क्या करना चाहिए कि मेरे मोबाइल की बत्ती जल उठी ,,

“हैल्लो “

“आ गए जान “

दूसरी ओर से काजल ने कहा

“कहा हो तुम देखने को दिल कर रहा है “

वो हँसी ..

“होटल आयी थी यार ,और कहा शाम को मिलते है ,तुम भी जाओ मेडम रश्मि तुम्हारा इंतजार कर रही होगी “

मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई क्योकि काजल ने मेडम रश्मि बोला ही कुछ इस तरह जैसे वो इस बात को लेकर जलती हो …

मुझे काजल से मिलने का बहुत ही मन कर रहा था मैं उसके सामने मलीना की बात करना चाहता था और उसके चहरे का एक्सप्रेशन देखना चाहता था की आखिर वो फिर मुझसे कैसे छिपाती है ,

मैं जल्दी से तैयर हुआ और उसके होटल की तरफ भागा ..

पहली बात तो मैं उसे सरप्राइज देना चाहता था ,

मैं सोच में पड़ गया की आखिर कैसे पता करू की वो कहा होगी ,सीधे उसके पास जाने से पहले मैं सोच रहा था मेरे दिमाग में एक आईडिया आया मैंने शबनम को फोन लगाया ,

“अरे कहा हो मेरी जान “शबनम की नशीली आवाज मेरे कानो में आयी

“बस छुट्टियां खत्म हो गई है अभी अभी पहुचा हु “

“ओह तो इस कनीज को कैसे याद कर लिया “

वो फिर से अपनी मादक आवाज में बोली

“तुम मेरी कनीज नही तुम तो मेरी मलिका हो “मैं मुस्कुरा उठा

“ओहो ऐसी बात है ..”वो जोरो से हँसी

“लगता है साहब को कोई जरूरी काम आ गया है “

उसने मेरी चपलिसी की वजह समझने में ज्यादा देर नही की

“बस मैं चाहता हु की तुम पता करो को काजल कहा है ,असल में मैं उसे सरप्राइज देना चाहता हु “

शबनम थोड़ी देर सोचने लगी

“अरे क्या हुआ “

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