भाग - 24

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ज्वालामुखी का लावा जब फुट कर बाहर निकलता है ,तो वातावरण के ठंड से जम कर बेसाल्ट चट्टान बनाता है,वही अगर वो अंदर ही किसी कारण से जम जाय तो वो ग्रेनाइड चट्टान बनाता है...

ये मैं क्यो बोल रहा हु ,क्योकि मेरी हालत एक ज्वालामुखी की तरह हो गई थी ,जिसमे दर्द का लावा भरा हो ,बेवफाई के दर्द का, लेकिन मैं ना ही अंदर ज पा रहा था ना बाहर ही निकल रहा था.....

कितनी अजीब सी बात है की प्रकृति अपने को कभी नही दोहराती लेकिन फिर भी हर चीज का मूल स्रोत एक ही है ...

मसलन 1000 मिलियन वर्ष पहले तक पृथ्वी सिर्फ और सिर्फ गर्म गैस ही थी ,जो जम कर लावा का रूप ले रही थी ,फिर लगभग 500 मिलियन वर्षों पूर्व के मध्य ये जमने लगी और पहली सतह का निर्माण करीब 235 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ ,जो की आपस में जुड़ा हुआ था....

अब चाहे सोना हो या कोयला या हीरा या पीतल या संगमरमर या नीलम या तांबा या लोहा सभी एक ही लावा से बने हुए है..लेकिन परिस्थितियों के कारण ,दबाव ,और वातावरण के कारण सभी अलग अलग प्रतीत होते है...अगर फिजिक्स की भाषा में बोले तो और भी सूक्ष्म तहो में जा सकते है जंहा पूरे ब्रम्हांड में सिर्फ और सिर्फ ऊर्जा है और कुछ भी नही है ,बस परमाणु है जो की न्यूट्रॉन प्रोटॉन और इलेक्ट्रान से मिलकर बने हुए है जो की ऊर्जा के कण है....

फिर भी इतने विभेद देखने को मिलते है,सबकुछ ऊर्जा का ही परिवर्तित रूप है उसके अलावा कुछ भी नही ....

मैं भी परिस्थितियों का मारा था,एक तरफ मेरी खुद की बीवी थी जिससे मैं इतना प्यार करता था लेकिन आज की परिस्थिति में मेरे मन में उसके लिए शंका थी,वही मुझे अपनी बहनों के भविष्य की फिक्र थी,मेरी जान और मेरे पूरे परिवार का भविष्य ही खतरे में था .....

मैं बुरी तरह से झल्ला सा गया था और शाम होते ही मैं घर को चला गया ,

मैं सीधे अपने कमरे में गया और वँहा जाते ही मेरी आंखों में एक चमक आ गई .........

वो काजल थी ,मेरी काजल ,थककर ऐसे सोई हुई थी जैसे की कोई बच्चा सोता है...

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