भाग - 13

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कमरे में घुसते हुए मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था,...

आज मेरी काजल मेरे कमरे में मेरा इंतजार कर रही होगी…….

मैं जब अंदर पहुचा तो सच में काजल जग रही थी ,उसने वही साड़ी पहनी थी जिसे पहन कर वो होटल गई थी ,लेकिन उसके माथे में गढ़ा सिंदूर था और गले में मंगलसूत्र..हाथो में लाल चूड़ियां सजी हुई थी, उसने ये रूप मेरे ही लिए ही बनाया था,

“बहुत देर कर दी ,क्या बोल रही थी आपकी रश्मि मेडम “

दरवाजे की आवज से वो उठकर खड़ी हुई..

मैं जाकर बिस्तर में बैठ गया …

“शायद मुझे लगा था की तुम सवाल नही जवाब दोगी …”

मैंने उसे घूरते हुए कहा ...जिससे वो हल्के से मुस्कुराई और मेरे बाजू में आकर बैठ गई ..

“क्या जानना चाहते हो “

“सब कुछ “

हम दोनो ही खामोश थे…

“मैंने अजीम को उसके किये की सजा दिलवा दी ,अब वो कभी बाहर नही आ पायेगा...और जब तक वो बाहर आएगा तब तक उसके लिए कुछ भी अपना कहने को बचा नही होगा ..”काजल का स्वर ठंडा था लेकिन उसके बातो में एक अजीब सा दर्द था,साथ ही हौसला ..

“क्या ऐसा कर दिया अजीम ने जो तुम उसे सजा दिलाना चाहती हो ..”

मैं जानने को उत्सुक था…

वो हल्के से मुस्कुराकर मुझे देखने लगी …

“जानने की हिम्मत है आपमे …”

उसकी इस बात से मुझे एक धक्का सा लगा

“ऐसी क्या बात है जिसे जानने के लिए मुझे हिम्मत की जरूरत पड़ेगी...ऐसे भी तुम्हारे बारे में तो मैं जानता ही हु की तुम एक रंडी हो “

मेरे मुह से निकली बात में इतनी घृणा थी की मुझे खुद ही अफसोस होने लगा ,लेकिन काजल के चेहरे की मुस्कान और भी बढ़ गई ,लेकिन उसमे दर्द कुछ ज्यादा ही टपकने लगा था…

“हाँ मैं एक रंडी हु ,और मुझे एक सीधी साधी लड़की से एक रंडी बनाने वाला अजीम था…”

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