मुझे घर जाने का मन ही नही कर रहा था ,मैं बड़े ही भारी मन से घर पहुचा ,मेरी बहने बड़ी ही बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी,उनके प्यारे चेहरों को देखकर मेरे मन की सभी थकान मिट गई, अगर मैंने कोई गलती की तो इन लोगों का क्या होगा, मुझे इनके लिए जीना था, इन लोगों के लिए मुझे काजल का साथ चाहिए था, ताकि मैं इनको पढ़ा सकू ,कुछ ऐसी जगह में भेज सकू जंहा इनको वो ना करना पड़े जो की काजल कर रही थी...मैं सोफे में बैठा हुआ उन्हें देख रहा था और मेरी आंखों में पानी आ गया, पूर्वी मेरे गोद में आकर बैठ गई ,कितनी प्यारी थी मेरी जान ,मैंने बड़े ही प्यार से उसके माथे को किस किया ,निशा भी आ चुकी थी उसके हाथों में पानी का ग्लास था ,और मेरे लिए ब्लैक काफी …
वो भी मेरे बाजू में आकर बैठ गई थी ,मैं उसके बालों को सहलाने लगा ,
“तुम लोगों की पढ़ाई कैसी चल रही है,”
“अच्छी चल रही है भइया लेकिन ये शहर के लोग लोग बड़े ही अजीब से है,”पूर्वी ने अपने मासूम अंदाज में कहा
“क्यों क्या हुआ “
“कुछ नही यंहा के लड़के साले पता नही कैसी कैसी ड्रेश पहनते है,और बाल देखो तो हँसी आ जाती है,और लड़कियाँ भी कितने मॉर्डन टाइप के कपड़े पहनती है "
“तो तुम्हे भी पहनना है क्या “
मैंने उसके गालों को पकड़कर खिंचा
“आउच दर्द होता है अब बच्ची नही हूँ जो गालों को खिंचते रहते हो “पूर्वी का गुस्सा मुझे सबसे भाता था
“अच्छा बहुत बड़ी हो गई है तू “
“वो तो हो गई हूँ ,लड़के देख के सीटियां मारते है मुझे “
निशा उसकी बात से गुस्से में आ गई
“कोई तमीज नही है क्या तुझे भइया के सामने ऐसे बात कर रही है “
शायद पूर्वी को इसका अहसास हो गया ,और मुझे भी की मेरी बहने अब बच्ची नही रह गई है और मुझे इनके ऊपर थोड़ा और ध्यान देना होगा लेकिन मेरे पास वक्त ही कहाँ था,,अगर ये गांव में ही रहती तो ऐसी बात मेरे सामने नही कह पाती लेकिन अब मुझे लगा की उन्हें भी शहर का थोड़ा रंग चढ़ रहा है ,लेकिन मैं अपनी बहनों को बांध कर भी तो नही रख सकता था ना ही रखना चाहता था ,बस वो बिगड़ ना जाए यही दिल में एक डर सा लगा रहता था ,

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रंडियों का घर
Romanceरिश्तों के जंजीरों मे बंधी एक ऐसी प्रेम कहानी जो रिश्तों के मायने ही बदल दे.... एक ऐसी ही अद्भुत प्रेम कहानी.... जिसमे संभोग तो है लेकिन हवस नाम की कोई चीज़ नही है... मै एक ऐसी erotic story आप सब के लिए लेकर आया हुँ... जो रिश्तों के मायने ही बदल दे...