रश्मि और खान के बीच क्या बाते हो रही थी ये तो मुझे नही पता लेकिन इससे हमारा भविष्य और हमे क्या करना है इसकी रूप रेखा जरूर तय हो रही थी...
मैं बैठे हुए बोर हो रहा था मैं उठा और काजल को काल किया ,मैं टहलता हुआ एक सीढ़ियों से ही एक फ्लोर ऊपर चला गया,जहा मेहमानों के कमरे बने हुए थे,सामने एक गैलरी थी जिसमे से नीचे का रिसेप्शन दिख रहा था,
"हलो .."
काजल की मधुर आवाज मेरे कानो में पड़ी
"क्या कर रही थी खान के साथ "
मैंने उसे छेड़ते हुए कहा
"क्या करोगे जानकर "वो मुझे जलाने लगी ,मुझे वो नीचे रिसेप्शन में दिखाई दी,
"ऊपर देखो "
उसने सर उठाया मैंने हाथ हिलाया
"पागल हो गए हो क्या हाथ क्यो हिला रहे हो, कोई देख लेगा तो "
"तो क्या "
"तो कुछ नही प्रॉब्लम हो जाएगी जानते हो ना, मैंने तुम्हे क्या बताया था....."
"हम्म ऐसे सच में जब भी तुम्हे किसी और के साथ देखता हु खून खोल जाता है" मेरी आवाज से मेरे दिल की जलन साफ साफ झलक रही थी जिसका आभास काजल को भी हो गया ,
"ओ मजनू जलना बंद करो कुछ ही दिनों की तो बात है फिर मैं सिर्फ और सिर्फ आपकी ही रहूंगी,,,,"
हम दोनो ही थोड़े देर को चुप हो गए
"अभी भी तो सिर्फ आपकी ही हु,लेकिन इस जिस्म को किसी और को भी सौपना पड़ता है"
मेरे लिए उसकी ये बात सहन से बाहर हो रही थी
"बस करो यार छोड़ो इन बातो को "
"शुरू किसने किया था "
अचानक मुझे कुछ हलचल का आभास हुआ ,मैंने पलट कर कमरों की तरफ देखने लगा,एक कमरे का दरवाजा खुला और एक लड़का बाहर आया, मैं उसे पहचानता था, वो हर्ष था, वही जिससे मैं पार्किंग में मिला था, शायद वो भी मुझे देखकर पहचान गया, उसके चाल से लगा की वो घबराया हुआ है,वो बड़ी जल्दी जल्दी आया और मुझे क्रॉस करके सीधे लिफ्ट के पास पहुच गया, लिफ्ट को आने में समय था वो सीढ़ियों से ही उतरने लगा ..मुझे उसकी हरकत बड़ी अजीब लगी क्योकि उसने मुझे एक बार भी नही देखा ...
"ये हर्ष को क्या हो गया कमरे से बाहर आया और इतनी जल्दी में भाग गया,देखा भी नही मुझे जबकि हमारी नजर मिली थी और मुझे पूरा यकीन है की वो मुझे पहचान गया होगा "
काजल जो की किसी को कोई काम समझा रही थी फिर से ऊपर देखती है, इस बार उसकी अदा में भी एक डर का आभास हुआ ,दरवाजा फिर से खुला ,मेरी नजर दरवाजे पर थी क्योकि ये वही दरवाजा था जंहा से हर्ष निकला था, एक अधेड़ उम्र की महिला कोई 55-60 साल की उम्र की बाहर आयी ,उसके चहरे में एक अजीब से संतोष का भाव था, देखकर लगा जैसे अभी अभी तैयार हुई हो ,वो एक मोटी सी आंटी टाइप की महिला थी ,वो भी मेरे पास से गुजरी और लिफ्ट तक आयी लेकिन हर्ष से विपरीत वो मुझे देख कर एक स्माइल पास कर गई,ये एक औपचारिक सी मुस्कान थी जो की हम किसी अनजाने व्यक्ति को देखकर दिया करते है...
वो बड़े ही आराम में थी..
"उसके लिफ्ट में घुसते तक मैं चुप थी था ..
"ये हो क्या रहा है यंहा पर "
काजल अब भी लाइन में थी "
"कुछ भी तो नही "
"तुम मुझसे छुपा रही हो ..."मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए उससे बोला ,तब तक वो महिला नीचे जाकर काजल के पास पहुच चुकी थी, उसने काजल को गले से लगाया थोड़ी बात की और चली गई ...
"ओह तो जो मैं समझ रहा हु क्या वही हो रहा है यंहा पर "
मैंने जैसे कुछ समझ गया था
"ये आईडिया मेरा है ,इसे अपने होटल में ट्राय करने की सोचना भी मत समझे...."
काजल की बात से मेरे चेहरे में एक मुस्कान खिल गई,
"क्या करू यार होटल इतने घाटे में चल रहा है की कुछ तो करना ही पड़ेगा ना,मैं नही चाहती की ये होटल बंद हो जाए और हमारे हाथ सिर्फ कुछ भी नही आये ,कुछ फायदा हो तभी तो खान इसे चालू रखेगा "
मैं जोरो से हंसा
"तो हर्ष तेरे होटल का जिगिलो है ,दिखने में तो मासूम सा लगता है" मैं फिर से हंसा
"दिखने में मैं भी मासूम ही लगती हु ,वो रश्मि और तुम्हारी प्यारी सी शबनम भी मासूम ही लगती है.."
काजल ने प्यारी सी शबनम में बड़ा जोर डाला..
"क्यो अब तुम्हे जलन हो रही है "
"क्यो ना हो..लेकिन फिर भी एक तस्सली तो है की वो तुम्हारा ख्याल रख रही है...."
काजल की आवाज में एक प्यार सा आ गया था...
"मुझे आज रश्मि और खान की मीटिंग को लेकर डर लग रहा है..."
मैंने अपनी चिंता जाहिर की
"कोई बात नही मैं जानती हु वो यंहा क्यो आयी है ,वो खान के कान मेरे खिलाफ भरना चाहती है,लेकिन फिक्र मत करो ,मर्दो की कमजोरी का मुझे पता है...और मुझे नही लगता की जो मैं खान को दे सकती हु वो रश्मि उसे देगी..आखिर वो ससुर है उसका .."
काजल का कमीना पन फिर से बाहर आ रहा था..
"क्या दे रही हो तुम खान को "
मैं थोड़ा सीरियस था
"इन बातो से दूर ही रहो क्यो खुद को जलाना चाहते हो ..."
काजल ने ठंडे आवाज में कहा..
"चलो शायद उनकी मीटिंग खत्म हो गई होगी "
मैं फोन रखकर नीचे पहुचा,थोड़ी ही देर में रश्मि और खान दोनो ही बाहर आ गए थे..
"मैंने जो बोला है उसपर गौर कीजियेगा पापा"
रश्मि खान को पापा बोल रही थी यानी अभी भी उसके दिल में रिश्तों की मर्यादा बची थी,मतलब की रश्मि ने खान को वो नही दिया है जो काजल उसे देती है ..
"हा बेटा तुम चिंता ना करो ,मैं ध्यान रखूंगा,और तुम्हारी बात अजीम तक भी पहुचा दूंगा "
हम दोनो ही कार से जा रहे थे जिसे रश्मि ही चला रही थी ,
"क्या बात हुई तुम लोगो में "
मैं ऐसे तो पूछना नही चाहता था लेकिन थोड़ी हिम्मत करने पूछ ही लिया ,उसने मुझे देखकर बुरा सा मुह बनाया ..
"वो साली रंडी उनके दिमाग में सवार है ...जब सब बिक जायेगा तब समझ आएगा उन्हें "
वो किस रंडी की बात कर रहे थे वो तो मैं समझ गया था...
मैंने अपना चहरा बुरा सा बना लिया ,ऐसे उसकी बात पर मुझे दुख तो नही हुआ लेकिन ये करना जरूरी था,क्यो???
ये बाद में पता चल जाएगा ..
"अब तुम क्यो दुखी हो रहे हो "
"कुछ नही "मैंने ऐसे कहा जैसे काजल को रंडी बोलने से मुझे बहुत ही दुख पहुचा है ..
"क्यो काजल को रंडी बोली इसलिए ,तुम्हारी बहन की सहेली है ना वो .....उससे अपनी बहनों को दूर ही रखा करो पता नही कब उन्हें धंधे में ले आये "
रश्मि ने बड़े ही रूखे स्वर में कहा लेकिन मेरे मन में आया की अभी इसकी अतड़िया निकाल कर निचोड़ दु ...
"तुम भी तो खान को बर्बाद करना चाहती थी "
मैंने रश्मि के जले में नमक डालना चाहता था जैसा की उसने मेरे में डाला था..
"हाँ अब भी चाहती हु , लेकिन इसका फायदा मुझे होना चाहिए उस रांड को नही "
रश्मि ने साफ साफ लफ्जो में अपनी बात कह दी थी ...
"तो जो वो खान को दे रही हो वो तुम भी दे दो ,आखिर ऐसा क्या है उस मैनेजर में जो खान साहब उनके दीवाने बने फिर रहे है ,जबकि उनका होटल आज इतने घाटे में चल रहा है...."
मैंने अपना दाव खेल दिया ,जिससे रश्मि बुरी तरह से झल्ला गई ,उसने कार को जोरो से ब्रेक मारा ..
"आउट "
"व्हाट "
"आई सेस आउट ,निकलो यंहा से "
मेरी फट गई मैं इस तरह के रिएक्शन की तो उम्मीद नही किया था ..
"बट वाय "
"जस्ट आउट ,मैं तुमसे बहस नही करना चाहती और मेरा मूड बहुत ही खराब है मुझे समझने की कोशिस मत करो वरना...मैं अपना आपा खो दूंगी "
मैं चुपचाप ही बाहर निकल गया उसने दरवाजा बन्द किया और तेजी से कार लेकर चली गई .......
वैसे उसकी इस हरकत से मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई, काजल का प्लान सचमे काम कर रहा था,लेकिनमैंने आस पास नजर दौड़ाई कोई ऑटो नही दिखा, मुझे ऐसी जगह पर ये बात नही कहनी थी ...अब साला अब इतने दूर मैं जाऊंगा कैसे ?????????
कहानी अभी जारी है...
मिलते हैं कहानी के अगले भाग में....
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रंडियों का घर
Romanceरिश्तों के जंजीरों मे बंधी एक ऐसी प्रेम कहानी जो रिश्तों के मायने ही बदल दे.... एक ऐसी ही अद्भुत प्रेम कहानी.... जिसमे संभोग तो है लेकिन हवस नाम की कोई चीज़ नही है... मै एक ऐसी erotic story आप सब के लिए लेकर आया हुँ... जो रिश्तों के मायने ही बदल दे...