भाग - 9

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जब आंख खुली तो सूरज भी चढ़ चुका था, और मेरे बाजू में सोने वाली निशा की जगह अब काजल ने ले लिया था,वो मुझे अपने बांहो में समेटे हुए सो रही थी, हमारे बीच जो कुछ भी चल रहा है उसके बाद भी वो मुझसे ऐसे लिपटी हुई थी जैसे की अब भी वो मुझसे उतना ही प्यार करती हो, मैं उसके मासूम से चेहरे को देख रहा था,उसके तन का वो पतला कपड़ा उसके यौवन को ढक पाने में असमर्थ था,उसके स्लेवलेस नाइटी से झांकते हुए उसके ऊरोज और जांघो के बीच से झांकते हुए उसके योनि के भाग इस बात का इशारा दे रहे थे की उसने नीचे कुछ भी नही पहना है, मेरे सीने में सर रखे वो एक मासूम सी बच्ची लग रही थी,उसके लिए मेरे मन में प्यार ही प्यार था,जो उसे देखते ही उमड़ कर सामने आने लगा, लेकिन………….???

लेकिन पूरी रात वो ना जाने क्या गुल खिला कर आई थी, उसकी इस मादक जवानी को भोगने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके कोमल उरोजों को मसलने और अपने दांतो के निशान उसमे छोड़ने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके योनि के रस से भीगा हुआ लिंग मेरा नही किसी और का रहा होगा…….

जलन, ईर्ष्या, दुख,और गुस्सा...सभी मेरे मन में एक साथ आ कर चले गए, वहीं मैं प्यार ,दर्द, उत्तेजना, के कम्पन को भी अपने दिल में महसूस कर रहा था,ये आज भी,सब जानते हुए भी, मेरे लिए सोच पाना कठिन हो गया था की काजल का जिस्म मेरे सिवा किसी और का भी है, लेकिन….

लेकिन जिस समय मैंने शबनम की पेंटी उतारी थी उसी समय काजल मेरे प्यार के बंधन से आजाद हो चुकी थी,.....अब वो बंधी नही थी क्योकि मैंने भी इस बंधन को तोड़कर आजदी को चुना था, अब ये आजादी मुझे कितना दर्द देने वाली थी ये तो मुझे भी नही पता था……….

मैं उठने को हुआ तो काजल मचली,और मुझे और भी जोरों से जकड़ लिया ,मैं अपने होठों को उसके होठों के पास लाकर उसके गुलाबी होठों में अपने होठों को रख दिया, मैं हल्के हल्के से उसे चूसना चाहता था ताकि वो जग ना जाए...मैं डरने लगा था…..मैं डरने लगा था काजल को अपना प्यार दिखाने से ,मैं नही चाहता था की उसे पता चले की मैं उससे कितना प्यार करता हु, वो बस यही समझे की मैं उससे नफरत करने लगा हु,

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