भाग - 14

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नई सुबह और नया जोश ...आंखे तो लेट से ही खुली लेकिन मन में उमंग नया था, मैं बेहद ही उत्त्साहित था क्योकि अब मेरे लिए ये किसी नए जीवन की तरह मालूम हो रहा था…

आज मेरा नजीरिया बदला तो नजारे भी बदले हुए दिख रहे थे…

निशा ने मुझे रोज की तरह नाश्ता दिया, लेकिन आज मैंने उसे उस नजर से देखा जो कभी नही देखा था, पूर्वी के लिए बहुत ही प्यार आ रहा था, मेरी नजरो के बदलाव को निशा ने भी बहुत कुछ समझ लिया था,

“आज कुछ अलग लग रही हु क्या”

“नही तो”

“फिर आप ऐसे क्यों घूर रहे हो जैसे की कोई बदलाव मुझमे आ गया हो ,और आज आप बहुत ही खुश लग रहे हो क्या बात है …”

निशा का आश्चर्य गलत नही था, उसने मुझे इतने दिनों से बहुत ही तकलीफ में ही तो देखा था..

“अरे कुछ नही मेरी जान तेरी भाभी को कल समझा दिया हु की ज्यादा नाईट ड्यूटी ना करे ,वो अब रात में जल्दी घर आ जाया करेगी,”

निशा का चेहरा थोड़ा उतर गया..

“अरे भइया इसे तो भाभी का नाईट ड्यूटी ही पसंद था ,आपके साथ सोने को जो मिल जाता था” पूर्वी बोलने से पहले कभी सोचती ही नही थी, इसलिए निशा ने उसे जोरो से मारा

“चुप कर कमीनी कही की कुछ भी बोलती है”

मैं हल्के से हंसा

“अरे तुम दोनो के लिए तो मेरे पास टाइम ही टाइम है, तुम भी सो जाना मेरे साथ “

दोनो हल्के से हँसने लगे सभी को पता था की ये तो सम्भव नही है …

आज होटल में भी एक नई ऊर्जा के साथ पहुचा था, कुछ कर दिखाने का जस्बा जो होता है ना वो आपको सच में एक ऊर्जा से भर देता है...वो ऊर्जा आपके पूरे व्यक्तित्व में दिखाई देने लगती है….

“क्या बात है देव बाबू आज तो चमक रहे हो “

शबनम से हुई आज की पहली मुलाकत इसी वाक्य से शुरू हुई ..

मैने जवाब देने के बजाय सिर्फ मुस्कुराना पसंद किया…

शाम मैं अपने ही होटल के बार में डॉ चुतिया को बैठे हुए देखा,

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