भाग - 37

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मैं अभी अपनी बहनों के साथ मलीना मेडम के घर में बैठा हुआ था,वो मेरी बहनों से ऐसे घुल गई थी जैसे की वो उन्हें बहुत सालो से जानती हो ,डॉ निशा के नजर में आये बिना ही वँहा से जा चुका तथा शायद निशा को डॉ की जानकारी थी,मलीना मेडम हमे लंच के लिए अपने साथ ही ले आयी थी,मैं सोफे में बैठा इधर उधर देख रहा था वही मेरी बहने मेडम से गुफ्तगुह करने में व्यस्त थी ,मेरी नजर एक तस्वीर पर पड़ी और मेरी आंखे चौड़ी हो गई ,अभी तक तो मुझे डॉ और मलीना की हरकते ऐसे भी समझ नही आ रही थी लेकिन इस तस्वीर से तो मैं और भी परेशान हो गया था..

तस्वीर में एक लड़का और दो लडकिया थी ,अजीब बात थी की मैं दोनो ही लड़कियों को पहचानता था,लड़के के एक बाजू में खड़ी थी मलीना मेडम और दूसरे में जो खड़ी थी उसे मैं अभी तक काजल की माँ के रूप से ही जानता था,जी हा मुझे काजल ने उसी औरत को अपनी माँ कहा था,जो की उसके बचपन में ही गुजर गई थी ,बीच का शख्स मेरे लिए अनजान था जिसके हाथो में एक छोटी सी बेबी थी ,उसकी आंखे मुझे काजल की याद दिलाती थी ……..

क्या वो सच में काजल है ???

अगर ऐसा है तो क्या काजल मलीना की बेटी है या फिर उस औरत की जिसे काजल अपनी माँ कहती है,क्या काजल का नाम काजल ही है या फिर श्रुति जैसा की मलीना ने कहा ….

बहुत से सवाल मेरे दिमाग में थे ,सबसे बड़ी ये बात थी की अगर मलीना सच बोल रही है तो ऐसी क्या मजबूरी हो गई की काजल को अपना नाम बदलना पड़ा..और मुझसे ये बात छुपानी पड़ी ……..




कहानी अभी जारी है...

मिलते हैं कहानी के अगले भाग में....
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