"रुको "मेरी आवाज से निशा रुक गई जिसने अभी अभी मेरे लिए दरवाजा खोला था,
जेल से आने के समय काजल फिर के होटल चले गई थी ,निशा ने दरवाजा खोला और सर झुकाए जाने लगी ,मुझे ये बात बहुत ही तकलीफदेह लग रही थी की मेरी ही बहन मुझसे ऐसे पेश आ रही थी ,शायद वो उस दिन की मेरी बातो को अब भी अपने दिमाग में बसा कर रखे थी...
"तुम ऐसे मुझसे भाग क्यो रही हो "निशा पलट भी नही रही थी और सर झुकाए खड़ी थी ...
"कुछ भी तो नही भइया "
"पूर्वी कैसी है "
"ठिक है अपने कमरे में है "मैंने निशा से अभी बात करना उचित नही समझा ,मैं सीधे ही उनके कमरे की ओर बढ़ा,आज उसने मुझे नही रोका ,मैं कमरे में था और मेरे सामने मेरी प्यारी बहन पूर्वी लेटी हुई थी,मुझे देखते ही वो खुसी से उछाल पड़ी,वो आज ही घर आयी थी और मैं उससे अभी मिल रहा था...
"कैसी है मेरी जान "मैं उसके पास ही बिस्तर में जाकर बैठ गया ,वो उठाने को हुई लेकिन मैंने उसे लिटा दिया ..
"अरे मुझे कोई उठाने क्यो नही देता है "
उसकी मासूमियत में तो दुनिया कुर्बान थी ..
मैं हंसा
"मैं पूरी तरह से ठीक हु भइया अब तो मैं कालेज भी जा सकती हु "
कालेज ?????
मैंने तो ये सोचा ही नही था,अब क्या मेरी बहनों का कालेज जाना ठीक होगा क्योकि जो मैंने किया था उससे पूरे कालेज में इन्ही की चर्चा हो रही होगी,और उनको खतरा भी होगा ...
मेरे मनोभाव शायद पूर्वी की समझ में आ गए थे..
"अरे जिसका आपके जैसा भाई हो उन्हें अब कोई कुछ नही बोलेगा आप क्यो फिक्र कर रहे हो "
पूर्वी ने मेरे मन की बात सुन ली थी ,
"कुछ दिन रेस्ट कर ले फिर मैं ही तुझे कालेज छोड़कर आ जाऊंगा "मैंने उसके बालो को सहलाते हुए कहा ,
"क्या भइया आप भी ....कितना रेस्ट करूँगी मैं ,बोर होई जाती हु यंहा लेटे लेटे ..और आप फिक्र मत करो मेरी अब मुझे कुछ भी नही होगा "
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रंडियों का घर
Romantikरिश्तों के जंजीरों मे बंधी एक ऐसी प्रेम कहानी जो रिश्तों के मायने ही बदल दे.... एक ऐसी ही अद्भुत प्रेम कहानी.... जिसमे संभोग तो है लेकिन हवस नाम की कोई चीज़ नही है... मै एक ऐसी erotic story आप सब के लिए लेकर आया हुँ... जो रिश्तों के मायने ही बदल दे...