कमरे की बत्तियां हल्के प्रकाश फैला रही थी और मैं बेचैन सा लेटा हुआ छत को निहार रहा था,आज पूर्वी और निशा दोनो ही बाजू के कमरे में सो चुकी थी ,मुझे तो लगा था की वो मेरे साथ सोने की जिद करेंगी लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ था…
अचानक दरवाजा खुला ,जैसा मुझे यकीन था निशा अंदर आयी वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी ,उस हल्के रोशनी में भी उसके जिस्म का हर कटाव मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था,वो मेरे पास आकर लेट गई थी ,उसने एक बहुत ही पतली सी नाइटी डाल रखी थी ,उसे देखकर मैं थोड़ा घबराया क्योकि मुझे पता था की आज हमे रोकने वाला कोई भी नही है ,लेकिन मैंने खुद को वक्त के हाथो में सौपने की ही ठान ली ,
उसके आंखों में एक अजीब सा नशा था जो आजतक मैंने किसी भी दूसरी लड़की के आंखों में नही देखा था,एक अजीब सी चाहत और जुनून उसकी आंखों में दिख रहा था,
अगर वो मेरी बहन ना होकर मेरी बीवी होती तो शायद मैं उसे देखकर खुस हो जाता लेकिन ये नशा ना जाने क्यो मुझे डरा रहा था…
“नींद नही आ रही है क्या “
मैंने उससे पूछ लिया ,वो मेरे बांहो में आके सो गई थी,
“कैसे आएगी भइया जब आप मेरे पास नही हो “
उसकी आवाज थोड़ी भारी थी जैसे उसने अभी अभी गहरी सांस ली हो शायद उसकी सांसे भी तेज हो रही थी ,वो मेरे पास आने से पहले ही उत्तेजना के शिखर में थी …
“क्या चाहती हो “मैं अनायास ही बोल गया ...
“भइया अब मैं कुछ भी नहीं करना चाहती ,मैं बस आपकी होना चाहती हु ,पूरी तरह से आपकी ,मुझे नहीं पता मैं क्या करूँगी पर मुझे इतना पता है ,जो भी होगा वो मेरा प्यार होगा,'
मैंने सजल नैनों से उसके मस्तक पर एक चुम्बन का तिलक किया ,और अपने होठो से उसके होठो को मिला दिया और हमारे बीच की सभी दूरिय उसी क्षण से ख़तम हो गयी ,हम अब एक ही थे और कोई दूजा ना था ,हम बस अपने को एक दूजे में समेटने की पूरी कोसिस कर रहे थे,,, ना जाने कितने समय तक हम एक दुसरे के होठो को चूसते रहे थे हमारी सांसे थी पर मेरे लिंग में कोई भी अकडन नहीं थी और ना ही इसका भान ही रह गया,समय जैसे रुक सा गया हो ,हम एक दूजे को अपनी बांहों में भरे बस खो जाना चाहते थे ,मुझे तब थोडा होश आया तब मेरा हाथ निशा के स्कर्ट के अंदर घुस आया था, और उसकी पीठ को सहला रहा था ,उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथो को चलते हुए मैंने उसके स्कर्ट को निकल फेका मेरा सीना पहले से ही नग्न था ,निशा के नर्म स्तनों के आभास ने मुझे फिर से किस के खुमार से बहार निकला मैंने अपने हाथो से उसे दबाना शुरू किया पर होठो को नहीं छोड़ा निशा ने अपने हाथो को मेरे सर पर कस लिए थे और पूरी शिद्दत से मेरे होठो को अपने में समां रही थी ,उसे शायद मेरे हाथो के हलचल तक का आभास नहीं हो रहा था ,पर जब मैंने पूरी ताकत से एक वक्ष को दबाया ,

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रंडियों का घर
Romanceरिश्तों के जंजीरों मे बंधी एक ऐसी प्रेम कहानी जो रिश्तों के मायने ही बदल दे.... एक ऐसी ही अद्भुत प्रेम कहानी.... जिसमे संभोग तो है लेकिन हवस नाम की कोई चीज़ नही है... मै एक ऐसी erotic story आप सब के लिए लेकर आया हुँ... जो रिश्तों के मायने ही बदल दे...