मुश्किल तो था,हा बहुत मुश्किल था .....
खुद को रोक पाना जबकि काजल मेरे सामने खड़ी थी ,जब मैं पुलिस स्टेशन पहुचा तो काजल बैठे इंस्पेक्टर से बात कर रही थी वही अजीम का कहीं अता पता ही नही था। मेरे लिए आश्चर्य की बात थी की वँहा पर वो डॉ चुतिया भी मौजूद था, उसने मुझे बड़े ही आश्चर्य से देखा लेकिन जब शबनम जाकर काजल से गले मिलने लगी तो उसका आश्चर्य थोड़ा कम हो गया...काजल ने तिरछी नजरों से मुझे देखा...
हम दोनो ही मजबूर थे की सब के सामने हम एक दूसरे से मिल भी नही सकते थे, मेरे दिल में तो आया की मैं जाकर उसके गले लग जाऊ लेकिन क्या करू, मैं तो मजबूर था।वही हाल काजल का भी हो रहा था, वो भी मेरे गले लगने को बेचैन थी ,वो बार बार मेरी ओर देख रही थी ,वो अपना स्वाभाविक स्वभाव खो चुकी थी जिसका असर उसके हाव् भाव से साफ पता लग रहा था,...
कोई भी एक्सपीरियंस आदमी ये बता सकता था की हम दोनो ही थोड़े बेचैन है...
और मेरे ख्याल से डॉ एक्सपीरियंस वाला था ,क्योकि उसके भी चेहरे के भाव बदलने लगे थे, वो हमे ऑब्जर्व कर रहा था,....
वँहा क्या हुआ था ये तो मुझे पता नही लेकिन मैं काजल से मिलने को बहुत ही उत्तसुक जरूर था..
"ओके डॉ साहब थैंक्स .."
हम बाहर आ चुके थे,
"अरे इसमें थैंक्स की क्या जरूरत है, तुमने मेरा काम कर दिया और मैंने तुम्हारा ...यही तो डील थी "
काजल का काम ...मैं ये क्या सुन रहा था, जैसे मैं अचंभित था वैसे ही शबनम भी अचंभित थी...
लेकिन काजल ने डॉ को इशारा किया और डॉ को अपनी गलती का अहसास हो गया...
"तो मैं निकलता हु .."
"ओके डॉ "
काजल मेरी ओर पलटी ही थी ..
"ऐसे तुम दोनो में क्या चल रहा है .."डॉ के चेहरे में एक कुटिल मुस्कान छा गई थी ..
"कुछ... कुछ भी तो नही .."
काजल बड़ी ही परेशानी से बोल पाई ..
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रंडियों का घर
Romanceरिश्तों के जंजीरों मे बंधी एक ऐसी प्रेम कहानी जो रिश्तों के मायने ही बदल दे.... एक ऐसी ही अद्भुत प्रेम कहानी.... जिसमे संभोग तो है लेकिन हवस नाम की कोई चीज़ नही है... मै एक ऐसी erotic story आप सब के लिए लेकर आया हुँ... जो रिश्तों के मायने ही बदल दे...