अतीत

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हूँ आज मैं एक वैद्यकी का छात्र,
पर जब भी मैं अपने अतीत में झाँकता हूँ,
अपने वर्तमान से खिन्न हो जाता हूँ,
स्वयं को उसी अंधकार में खोया हुआ पाता हूँ।

नटखट नहीं था मैं कभी
फिर भी बोर्डिंग कंवेट में भेज दिया गया।
आज तक किसी ने मुझे स्वीकार नहीं किया,
ठीक उसी तरह, जब मेरा शोषण होता था...

वे(लोग) कहते हैं आसान नहीं अतीत को भूलना,
और भी तब, जब वर्तमान ही उसकी याद दिलाए,
वह अतीत मुझे वर्तमान से जुड़ने देता नहीं,
अतीत के खौफ़नाक लम्हों में धकेलता रहता है, कमबख्त! मेरा वर्तमान भी।

हैं जब लोग मुझे घूरते, जैसे मैं कोई खूंखार अपराधी हूँ,
मेरा मन बचपन की सैर को निकल पड़ता है।
वक्त से पहले फैल जाना मेरी गलती थोड़ी ही थी,
पर मेरे मन को झकझोरना निर्दयी दुनिया को आता है।

जब भी मैं हलका होने जाता हूँ,
धड़कन तेज-सी हो उठती है।
उन नग्न लम्हों की याद में,
जब मलद्वार में मेरे अज्ञात वस्तुएँ डाली जाती थीं...

जब भी मैं कहीं अकेला होता हूँ,
मन में डर हमेशा रहता है।
कब कौन कहाँ से निकलकर,
मेरे कमीज को जमीन से मिला जाए...

जब भी मैं किसीको प्रार्थना करते सुनता हूँ
मेरा बचपन मुझे गिरजा के किसी कोने में रोता दिखाई पड़ता है।
फादर कारण अवश्य पूछते थे
पर मुझमें कभी हिम्मत नहीं थी, जो आज भी नहीं है।

जब कोई अच्छे-से बात करने लगता है,
अतीत झट से मुझे सचेत कर देता है!
यादें, महज़ अफवाहों से छोड़ चुके मित्रों की,
मेरा पक्ष सुनने के भी काबिल जिन्होंने मुझे समझा नहीं।

मैं मुस्कुराता हूँ, हँसता हूँ, हर तरह की आवाजें करता हूँ।
पर भीतर कहीं मेरा दिल रोता है;
मेरे बारे में कहानियाँ बनाने से पहले,
जान लो कि तुमने कितना मुझे अंदर से तोड़ा है।

कब तक बनी रहेगी क्रुर ये जालिम दुनिया,
कुछ जो थे जिन्हें अपना कहता था,
आज वे नज़र फेरने से भी कतराते हैं।
पिछले जन्म के अज्ञात कर्मों की इतनी बड़ी सज़ा मुझे देते हैं।

मैं वो नहीं जो दुनिया मुझे समझती है,
मैं बिंदास नहीं, क्योंकि मेरे पास हेडफोन है,
विकृत मस्तिष्कों से दूर रहने में वे बस मददगार हैं।
मैं अशिष्ट नहीं, क्योंकि मैं किसी से बात नहीं करता
मैं बस ऐसा ही हूँ बनाया गया...

मुझे चाहिए कि कोई बात करे मुझसे,
जैसे किसीने नहीं समझा, वैसे समझे मुझे।
किससे आशा कर रहा हूँ, भूल ही जाता हूँ मैं
मुझे हमेशा गलत साबित करने वाली, ये तो वही दुनिया ही है।

लक्ष्य

चित्र स्त्रोत: इंटरनेट से।

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