है हिंद की मर्यादा हिंदी,
है नाज़ हमें हिंद की हिंदी पर।
शब्द हैं जिसके मोतियों-से--
ऐसा श्रृंगार नहीं किसी भी और सरजमीं पर।भावनाओं को दर्शाना
शब्दों के जाल को बुनना
हृदय को खोल कर कागज़ पर रख देना
अंतर-मन को एक नई आवाज देना।यह सब हिंदी से ही तो मुमकिन है-
स्वरों को नवीन तान दे पाना
व्यंजनों को नई परिभाषा देना
जो बात हिंदी में है वो किसी और में नहीं ही तो है।सुर-तुलसी, संत कबीर, रसखान और मीराबाई
छंदों के बंधनों में बंधकर रचनाएँ इन्होंने अप्रतिम बनाई।
निराला-दिनकर, पंत-सर्वेश्वर, चौहान और महादेवी
बंदिशों से मुक्त होकर एक नवयुग की इन्होंने आस जगाई।ऐसी अद्वितीय है हमारे हिंद की हिंदी,
दूर-दूर तक कोई करीब भी नहीं।
धरोहर है यह हमारे स्वर्णिम विरासत की,
है हिंद की अक्षुण्ण मर्यादा हिंदी ।लक्ष्य
चित्र स्त्रोत: Mi calendar
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वास्तविक कविताएँ
Poesíaनमस्कार ! मैं लक्ष्य हूँ। मैं एक MBBS छात्र हूँ।😌 यह मेरे हिंदी दीर्घ और लघु कविताओं का संकलन है।😃 मैंने नौवीं कक्षा से कविताएँ लिखना शुरू किया और उन्हें फेसबुक पर डालता था। कई सुझावों के मद्देनज़र मैंने अपने ख़यालों को एक अलग मंच देने का निर्णय ल...