पाठकों से अनुरोध है कि यह भाग पढ़ने से पहले "गौ" कविता जरूर पढ़ें।
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"बालक मैं अभागा हूँ, गरीबी से ग्रस्त हूँ;
तस्करी ही मेरा जीवन है, नहीं तो भूखे पेट को कुछ नसीब नहीं।"मेरी रूह काँप गई, यह सुन की जड़ है गरीबी,
जिसका कारण और कोई नहीं स्वयं सरकार है,
रुठकर लौटा गौमाता के पास, कहा न ढूंढ पाया कोई उपचार;
गरीबी जब तक मिटेगी, तब तक तुम न बच पाओगी।अप्रत्याशित मुस्कुराहट गौमाता के मुख पर छा गई;
"मुझसे ही धरा है, मैं ही कामधेनु हूँ;
मुझे बचाने विष्णु अवश्य अवतरेंगे;
एक बार वे आए थे मुझे हिरण्याक्ष से बचाने,
फ़र्क बस इतना है कि इस बार वे किस-किस को मारेंगे।"लक्ष्य
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वास्तविक कविताएँ
Poesíaनमस्कार ! मैं लक्ष्य हूँ। मैं एक MBBS छात्र हूँ।😌 यह मेरे हिंदी दीर्घ और लघु कविताओं का संकलन है।😃 मैंने नौवीं कक्षा से कविताएँ लिखना शुरू किया और उन्हें फेसबुक पर डालता था। कई सुझावों के मद्देनज़र मैंने अपने ख़यालों को एक अलग मंच देने का निर्णय ल...