अब हम क्या कहें उनसे
जो हमें याद तक नहीं करतीं।हर वक्त वो बातों को घुमा देतीं हैं,
एक बार भी दिल-ए-कायनात से वाकीफ़ नहीं होतीं।दोस्ती कुछ ऐसी शुरु की मुझसे,
रोम-रोम में बस वहीं बस गईं हैं उस दिन से।पहले हर दफ़ा दिल बिखर-सा जाता था,
अब उसे रूठने में दिलचस्पी थोड़ी है !हाल-ए-दिल कुछ ऐसा है,
बयां कर देने को जी मचलता है।वो रहेंगी या नहीं कह देने के बाद?
रहने देते हैं, एहसासों को कौन पुछता है?लक्ष्य
चित्र स्त्रोत: इंटरनेट से।
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वास्तविक कविताएँ
Poetryनमस्कार ! मैं लक्ष्य हूँ। मैं एक MBBS छात्र हूँ।😌 यह मेरे हिंदी दीर्घ और लघु कविताओं का संकलन है।😃 मैंने नौवीं कक्षा से कविताएँ लिखना शुरू किया और उन्हें फेसबुक पर डालता था। कई सुझावों के मद्देनज़र मैंने अपने ख़यालों को एक अलग मंच देने का निर्णय ल...