अनुक्रमणिका

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हर पुस्तक का आगाज़ होती है अनुक्रमणिका
ज्ञान के हर रास्ते की शुरुआत होती है अनुक्रमणिका
जिंदगी की शुरुआत जैसे होती है
एक दास्तान् की पहली साँस होती है अनुक्रमणिका ।

कभी उसके बिना साहित्य की यात्रा की है?
कठिन मार्गों को पार करने की रूपरेखा होती है अनुक्रमणिका
खयालों के तुफान से पीड़ित,
नदी में फँसे नाविक की,
चप्पुएँ होती है अनुक्रमणिका

कई उसे देखते तक नहीं
तथाकथित जाँबाज मदद को अहम मानते तक नहीं।
एक पथरीली चट्टान रूपी किताब में,
यात्रा करने वाले अंधे पाठक की,
लाठी होती है अनुक्रमणिका ।।

ऐ अनुक्रमणिका :
तुम काबिल मार्गदर्शक हो
इच्छा नहीं तुम्हें प्यार, इज़्जत, या नाम की
मदद करनेवालों में तुम निश्चित ही सर्वोपरि हो !!

लक्ष्य

ले/टि: हमेशा तिरस्कृत रहने वाले अनुक्रमणिका को न्याय देने का एक सूक्ष्म प्रयास।

और ५०० रिड्स मिलने पर आप सबका आभार। बहुत बहुत धन्यवाद।

चित्र: इंटरनेट से।

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