कभी मैं आपको सोचता हूँ।

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कभी आपकी हँसी सोचता हूँ।
कभी आपकी बातें सोचता हूँ।
कभी आपकी नज़दीकी सोचता हूँ।
कभी आपके साथ अपनी जिंदगी सोचता हूँ।

कभी हम दोनों के बीच के फ़ासले सोचता हूँ।
कभी आपकी हसरत, नज़ाकत सोचता हूँ।
कभी आने वाली मदहोश रातें सोचता हूँ।
कभी खुशनुमे दिन के सपनें देखता हूँ।

कभी आपकी नज़रों की सच्चाई सोचता हूँ।
कभी आपकी आँखों में अपनी परछाई सोचता हूँ।
कभी आपके चेहरे पर फैली शर्माहट सोचता हूँ।
कभी आपके होठों पे अपने होंठ सोचता हूँ।

कभी आपकी लटकती झुमकों की चमक सोचता हूँ।
कभी अपनी बाँहों में आपको सोचता हूँ।
कभी हम दोनों की धड़कनों के बीच एक सरगम सोचता हूँ।
कभी आपके हाथों में अपने हाथ सोचता हूँ।

कभी आपके बिना एक पल सोचता हूँ।
कभी आपको पाने के लिए प्राथनाएँ सोचता हूँ।
कभी विधि-विधान से आपके साथ लगन सोचना हूँ।
कभी मैं आपको सोचता हूँ,
कभी मैं बस आपको सोचता हूँ।

कभी हमारे बदन के बीच तालमेल सोचता हूँ।
कभी बंदिशों से परे एक आलिंगन सोचता हूँ।
कभी एक दूसरे के प्रति परित्याग, समर्पण सोचता हूँ।
कभी निशा के आघोष में एक अप्रतिम मिलन सोचता हूँ।

कभी आपके साथ जग-भ्रमण सोचता हूँ।
कभी एक-दूसरे को खिलाते हुए सोचता हूँ।
कभी अपने कंधे पे आपका सर सोचता हूँ।
कभी आपके साथ रंग-बिरंगी मुद्राएँ सोचता हूँ।

कभी अपने गोद में एक नन्ही जान सोचता हूँ।
कभी आपके दिए हुए नाम से उसे पुकारना सोचता हूँ।
कभी उसके चेहरे को आपसे मिलाना सोचता हूँ।
कभी उसके बचपन में खुद बच्चा बन जाना सोचता हूँ।

कभी एक हँसता-खेलता परिवार सोचता हूँ।
कभी आसमान के चादर के नीचे आपको नज़्में सुनाना सोचता हूँ।
कभी आपके साथ एक अद्वितीय खुशी सोचता हूँ।
कभी मैं आपको सोचता हूँ,
कभी मैं बस आपको सोचता हूँ।

लक्ष्य

चित्र: मेरी ही है।

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