वो कहती हैं।

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वो कहती हैं वो मेरी मंजिल नहीं
मैं हर साँस उनके नाम से लेता हूँ।

वो कहती हैं उनके प्यार में मर जाऊँगा
मैं तो उसी दिन मर गया मोहब्बत में उनकी-
जिस दिन उनसे इज़हार किया।

वो कहती हैं मुझे जला देंगी
मेरा रोम-रोम इश्क़-ए-आग में हर पल दहलता है।

वो कहती हैं उनसे इतना ना जुड़ूँ मैं,
उनके ना होने से मुझे जीवन खोया-सा लगता है।

वो कहती हैं बातें कम करूँ मैं उनसे,
उनके एक-एक शब्द सुनने को मेरा चित्त अधीर-सा रहता है।

वो कहती हैं हमारे बीच सब कुछ आधा है,
उनके बिना फिर क्यों मेरा नज़्मा रुखा-सुखा सा लगता है?

वो कहती हैं खुद को संयमी रखने,
बहकने को मेरा दिल हर पल धड़कता है।

वो कहती हैं सीमाओं में रहने,
सीमाओं को लांघ कर ही तो उनसे मैंने प्यार किया।

वो कहती हैं उन्हें वक्त चाहिए,
उनसे दो पल बातें करने को मेरा मन पागल रहता है।

वो कहती हैं सपने ना देखने,
मेरे हर सपनों में उनका ही चेहरा रहता है।

वो कहती हैं वो मेरे काबिल नहीं,
उनकी काबिलियत पे ही मेरा इश्क़ परवान चढ़ता है।

वो कहती हैं इंतज़ार करने,
उन्हें क्या पता, हर लम्हों में मेरे उनका ही निवास रहता है...

लक्ष्य

चित्र स्त्रोत: इंटरनेट से।

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