कोई है ।

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कोई मंजिल को चुमे है
कोई खुशियों को देख हैरान है
कोई माशूक-ए- ख़यालात में डुबे है
कोई आसमान का सितारा बनने की जद्दोज़हत में है
कोई अपना रास्ता खोजे है
कोई दौड़ दौड़ के साँसे अटकाए हुए है
कोई औरो को रिझाए है
कोई खुद ही इच्छाओं से रिझे हुए है
कोई बचपन को निहारे है
कोई जवानी को सँवारे है
कोई वक्त को ज़बरन डबोचे है
कोई वक्त से आगे निकले हुए है
कोई हुस्न से लैस है
कोई जिस्म को छलनी किए है
कोई दोस्ती के एक एक पल को महसूस करे है
कोई अकेले ही ख्वाब देखे है
कोई हक़ीकत में जी रहे है
कोई मिथ्या में उलझे है
पर इन सब के बीच वे हैं
जो गुमनाम हैं, पहचान की तलाश करे हैं।।

                                                 लक्ष्य

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