rahne de

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Tu ja rha hai to ja, bewafai ka ilzaam rahne de
Tere sath jo bitayi wo sham rahne de

Mukammal huyi to huyi, adhuri baat rhne de
Tere Safar mei huyi malaqat rahne de

En sitaron ki gardish si ajad rhne de
Gulshan-e-ishq mera abaad rahne de

Mukammal-adhuri har saugat rahne de
Bane-bigade mere halat rahne de

Us falak se es jameen ke darmiyan jo bhi hai
Ye faaslen tu na ghata, lagatar rahne de

Mera mayaar na mile, mujhe beqraar rahne de
Teri tabassum ke pichhe lachaar rhne de

Mujhe tere ishq ka ikhtiyaar na bana
Jo tujhpe hai mera, aitbaar rahne de

Mere muqaddar mein ishq ka ehtram rahne de
Teri wafai ka shabab salam rahne de

Quoted by-- Aria

तू जा रहा है तो जा, बेवफाई का इल्जाम रहने दे...¡!
तेरे साथ जो बिताई वो शाम रहने दे...¡!

मुकम्मल हुई जो हुई, अधूरी बात रहने दे...¡!
तेरे सफर में हुई मुलाकात रहने दे...¡!

इन सितारों की गर्दिश सी आजाद रहने दे...¡!
गुलशन-ए-ईश्क मेरा आबाद रहने दें...¡!

मुकम्मल-अधूरी हर सौगात रहने दें...¡!
बने-बिगड़े मेरे हालात रहने दें...¡!

उस फलक से इस जमीन के दरमियान जो भी है...¡!
ये फासलें तू ना घटा, लगातार रहने दे...¡!

मेरा मयार ना मिले, मुझे बेकरार रहने दे...¡!
तेरे तबस्सुम के पीछे लाचार रहने दे...¡!

मुझे तेरे इश्क का इख्तियार ना बना...¡!
जो तुझपे है मेरा एतबार रहने दे...¡!

मेरे मुकद्दर में ईश्क का एहतराम रहने दे...¡!
तेरी वफाई का शबब सलाम रहने दे...¡!

Quoted by-- Aria

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