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शाहपरस्ती का दौर खतम हुआ अब तो
हमें भी तेरी हुकूमत से आजाद किया जाएआजादी का शोर चारो ओर हुआ अब तो
हमें भी तेरी गुलामी से निजात दिया जाएहदफ ना बना हमें अपनी दिल्लगी का फिर से
हम मुसाहिब नहीं जो हम पर वक्त निसार किया जाएवकत बेवकत तेरी फुरकत का ये मसला क्या है?
तू एक बार में ही चला जाए तो हमें आबाद किया जाएबगैर कसूर किए ही तेरी कैद में आ फसे हम
तू रहम करे तो हमें रिहा करार किया जाए
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Poetryकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...