तेरी नजरें

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तेरी नज़रें मुसलसल बयां कर रहीं
मेरे ज़ख्मों पे फिर से हवा कर रही
मेरे ज़ख्मों को फिर ये हरा कर रही
तेरी नज़रें  हमें फिर तबाह कर रहीं

फ़ना कर रहीं ना रिहा कर रहीं
ना जाने सितम हम पे क्या कर रहीं
ना दवा कर रहीं ना दुआ कर रहीं
तेरी नज़रें हमें फिर तबाह कर रहीं

ना वफ़ा कर रहीं ना दफ़ा  कर रहीं
ख़ता कर रहीं ना कजा़ कर रहीं
हम पे सज़ा पे सज़ा कर रहीं
तेरी नज़रें हमें फिर तबाह कर रहीं

दगा कर रहीं हर दफ़ा कर रहीं
बेवजह कर रहीं जो रज़ा कर रहीं
मुसलसल हमें क्यूं ख़फ़ा कर रहीं
तेरी नज़रें हमें फिर तबाह कर रहीं


Quoted by-- Aria

तसव्वुर (Urdu Poetry)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें