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इज्ज़त-ए-नफ़्स से पर्दा कोई उठाकर देखे
दिल में दफ़्न राज़ अपने फिर बताकर देखेये शाम की बेचैनी, ये रात की बेदारी
सुबह तक दिल में क्या है फिर दिखाकर देखेयूं ज़रा-ज़रा से रहते हो उनकी दुनियां में जो तुम
फिर मालिकों सा क़िरदार निभाकर देखेये जुल्फ़ें हैं तुम्हारी या महताब पे बादलों का पहरा
इजाज़त हो तो सामने से हटाकर देखेक़रार ही नहीं या दिल ही फ़िराक़ में है
या ज़हन से तुम्हारा नाम फिर मिटाकर देखे?
Aria
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इज्ज़त-ए-नफ़्स- self respect
दफ़्न- buried
राज़- secrets
बेचैनी- restlessness
बेदारी- sleepless
मालिकों(मालिक)- owner/ beloved
क़िरदार- character
महताब- moon
क़रार- peace
फ़िराक़- separation
ज़हन- mind
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Poesiaकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...