इज्ज़त-ए-नफ़्स

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इज्ज़त-ए-नफ़्स से पर्दा कोई उठाकर देखे
दिल में दफ़्न राज़ अपने फिर बताकर देखे

ये शाम की बेचैनी, ये रात की बेदारी
सुबह तक दिल में क्या है फिर दिखाकर देखे

यूं ज़रा-ज़रा से रहते हो उनकी दुनियां में जो तुम
फिर मालिकों सा क़िरदार निभाकर देखे

ये जुल्फ़ें हैं तुम्हारी या महताब पे बादलों का पहरा
इजाज़त हो तो सामने से हटाकर देखे

क़रार ही नहीं या दिल ही फ़िराक़ में है
या ज़हन से तुम्हारा नाम फिर मिटाकर देखे?

 
Aria
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इज्ज़त-ए-नफ़्स- self respect
दफ़्न- buried
राज़- secrets
बेचैनी- restlessness
बेदारी- sleepless
मालिकों(मालिक)- owner/ beloved
क़िरदार- character
महताब- moon
क़रार- peace
फ़िराक़- separation
ज़हन- mind

तसव्वुर (Urdu Poetry)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें