तो फिर कुछ नहीं

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अगर तुम हो तो फिर ठीक है
'गर नहीं, तो फिर कुछ नहीं

"जान" ज़िंदगी तुमसे हसीं है
गर तुम नहीं, तो फिर कुछ नहीं

अगर तुम मह-जबीं, तो फिर ठीक है
'गर नहीं, तो फिर कुछ नहीं

हम तो तुम्हारे होने से ही खुश हैं
अगर तुम नहीं तो फिर कुछ नहीं

अगर तुम बेहतरीन, तो फिर ठीक है
'गर नहीं, तो फिर कुछ नहीं

हम तो मुकम्मल ही तुम्हीं से है
अगर तुम नहीं, तो फिर कुछ नहीं

अगर हम तुम्हारे कुछ हैं, तो फिर ठीक है
'गर नहीं, तो फिर कुछ नहीं

हमारी तो सारी काएनात ही तुम हो
अगर तुम नहीं, तो फिर कुछ नहीं

अगर तुम हमसे आश्ना हो, तो फिर ठीक है
'गर नहीं तो फिर कुछ नहीं

हमारा तो तआ'रुफ़ ही तुमसे है
अगर तुम नहीं तो फिर कुछ नहीं

Quoted by - Aria

आश्ना - Acknowledge, familiar
तआ'रुफ़ - Introduction
मह-जबीं - Beautiful, The head of moon

First I wrote the first four lines, but then I don't know what comes in my mind and I wrote further four lines and then whole poem😂. Such an idiot I am. Well, it just happened this way. I hope you liked the poem. Please share your thoughts.

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