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क्या कयामत की रात होगी
जो हमारी आखिरी मुलाकात होगी
मिलेंगे हम बिछड़ने के लिए
महज इतनी सी बात होगी
रोएगा ये आसमां भी
हमारे जुदा होने के गम में
भीग जाएगा हर शमां
और दर्द में कायनात होगी
शिद्धत होगी हमें मिलाने की
पर नामुकम्मल हर बार होगी
आंसू महताब की आंखों में होंगे
जिसकी सितारे गवाह होंगी
रुक जाने की जिद होगी हर शमां की
वक़्त ठहरना चाहेगा
बिछड़ जाएंगे दो दिल मिलकर
जिसे देख तकदीर भी शर्मसार होगी
खुदा अफसोस करेगा अपने कारनामे पर
कलम उसकी भी लाचार होगी
ख्वाहिश होगी उसकी,
ठहर जाए ये शमां
आज उसकी ख्वाहिशे भी
तार-तार होंगी
रोएगा ये शमां, टूट जाएगा आसमां
शुरू अगर कहीं वो कयामत की रात होगीAria
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Şiirकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...