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फिर अंधेरों में नए शफ़क की तलाश है
फिर नया दिन नए सफर की तलाश हैखुश्ब भरी फिजाओं में डूबना है फिर
फिर गुल की वादियों में अरक की तलाश हैगुस्ताखियों से मन भर गया फिर और फिर
फिर नए सलीके नए सबक की तलाश है टूटेटूटे मकान के दरिचों से हम झांके कब तक
फिर नए दरिचे नए घर की तलाश हैजहरिले तीखे पख्त किरदार से परे
फिर किसी मासूम लहजे-लफ़ज़ की तलाश हैQuoted by-- Aria
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Poesiaकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...