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दिल्लगी ना थी, इश्क़ था हमारा, उन्होनें समझा ही नहीं, फिर हम क्या करें?
हमने कहा नहीं, वो सुन ना सके, जमाना जान गया, फिर हम क्या करें?
वो जा रहे थे, हमने रोका नहीं, वो रुके भी नहीं, फिर हम क्या करें?
हम तन्हाई में रोएं, अंधेरी रातों में वो रोएं या नहीं, हमें क्या खबर?
आसमां गवाह है, गवाह हैं ये सितारें, मेरा महताब बदल गया, फिर हम क्या करें?
Aria
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Поэзияकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...