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ना मुलाक़ात होती ना दीदार होता
ना तुम मिलते ना हमें प्यार होताइश्क़ या आवारगी, जुनून की एक हद तो होती
ज़रा सा चैन होता ज़रा क़रार होताज़रा सा इल्म होता, क्या शाम क्या सहर
ज़रा ज़रा सी बात पे दिल बेक़रार होताखामोशियों में शोर, महाफिलें तन्हा सी न होती
मेरे हिस्से में भी सुकून का एक अपना क़िरदार होताइनायत होती अगर ना ही मिलते तुम
बग़ैर तेरे, दिल इतना ना लाचार होता
Aria
~~~~~~~~इनायत- favour
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Poetryकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...