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मेरा दिल आज भी तेरे नाम पे मख्सूस है
मेरी अधूरी दास्तान का तू मुकम्मल सुकूं हैकिसी शांत पड़े समंदर का तू सुनामी सा जुनून है
मेरी मुसलसल तब्दीली का तू लकीरी वजूद हैमैं बदलते सफर का भटकता मुसाफिर
रास्ते का पता नहीं पर तू जिसकी मंजिल हैतेरे हिज़्र पर मैं खफा नहीं,
ऐसा क्यूं कोई वजह नहीं,
मेरा दिल आज भी तेरे नाम पे मख्सूस है
तू जब चाहे आजमा ले
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Şiirकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...