तू जब चाहे आजमा ले

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मेरा दिल आज भी तेरे नाम पे मख्सूस है
मेरी अधूरी दास्तान का तू मुकम्मल सुकूं है

किसी शांत पड़े समंदर का तू सुनामी सा जुनून है
मेरी मुसलसल तब्दीली का तू लकीरी वजूद  है

मैं बदलते सफर का भटकता मुसाफिर
रास्ते का पता नहीं पर तू जिसकी मंजिल है

तेरे हिज़्र पर मैं खफा नहीं,
ऐसा क्यूं कोई वजह नहीं,
मेरा दिल आज भी तेरे नाम पे मख्सूस है
तू जब चाहे आजमा ले

तसव्वुर (Urdu Poetry)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें