बिखरे जो अभी तो फिर समेटे नहीं जायेंगे
ये ख़्वाब जो टूट रहे हैं फिर देखे नहीं जायेंगेतुम जो यूं मुकर रहे हो, तो तुम्हारी ना ही सही
हममें भी कुछ अना है, तेरे कदमों पे नहीं जायेंगेफिर मलाल भी रहा तेरे हिज़्र का अगर
हम मलाल में ही मर जायेंगे, तेरे दरवाज़े ही नहीं जायेंगेतमन्ना-ए-दीदार आख़िरी ख्वाहिश भी 'गर रही
दिल में दफ़न कर लेंगे, तुझे देखने नहीं जायेंगेअंज़ाम-ए-इश्क़ भी यूं गज़ब का रहा....
'गर फिर मिली ज़िंदगी तो इश्क़ में नहीं जायेंगेAria
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Poesíaकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...