इश्क़

232 14 5
                                    

~~~~~~~~~~~~

तेरी आंख भी फिर कहानी कहेगी
ना राजा रहेगा ना रानी रहेगी

गगन के सितारे भी आहे भरेंगे
तेरे इश्क़ के ये कसीदे पढ़ेंगे

नज़र की हिमाक़त का अंजाम होगा
नज़र के दीवानों का भी नाम होगा

नज़र पे तड़प कर को अब बर्क़ कड़के
नज़र पे सितम का को अब अब्र बरसे

रिवायत ना होगी अब फिर नज़र पर
किया ज़ुर्म इसने जो दिल पे असर कर

दिल का सलीका भी कुछ कम नहीं
इसकी तड़प का भी गम नहीं

कशिश भी है उनपे जो ज़द में नहीं
दिल ये हमारा के हद में नहीं

आंखों में आंसू, वजह? इश्क़ है
दिल ये दुखा क्यूं? वजह? इश्क़ है

आंखों के सपने, बिखर सब गयें
दिल में थे अपने, बिछड़ सब गयें

ये सब हुआ क्यूं? वजह? इश्क़ है
दिल ये गुमा क्यूं? वजह? इश्क़ है

इश्क़ पर सवालों की लंबी कतार
दिल तू ही बता, क्या तेरा किरदार?

क्या तुझे भी शिक़ायत है इश्क़ से?
या मरना है फिर भी तुझे इश्क़ में?

Aria

तसव्वुर (Urdu Poetry)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें