भाग - 44

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जवां रंग ,जवां कालिया ,जवां जवां सी उमंग...ये नजारा दिखाई देता है सुबह सुबह गार्डन में घूमने से ..

उसी जवानी में मैं भी डूबा हुआ गहरी गहरी सांसे ले रहा था ,मेरे साथ साथ मेरी दोनो बहने भी थी ,मैं उनके साथ कुछ ज्यादा समय बिताने के इरादे में था,

एक हँसता मुस्कुराता हुआ हसीन सा चहरा मेरे पास आया ,मैं उसे देखकर पहचान तो गया लेकिन फिर भी मैंने कोई भी प्रतिक्रिया नही की ..

“कैसे हो देव सुना है तुम अपनी बीवी के अतीत को ढूंढने में लगे हुए हो “

उस मदमस्त बाला ने कहा जिसे देखकर गार्डन में उपस्थित सभी लड़के आहे भर रहे थे,उसके शरीर की बनावट की कुछ ऐसी थी लेकिन मेरे लिए वो बिल्कुल भी उत्तेजक नही थी …

“तुम्हे किसने कहा “

मोहनी जोरो से हँस पड़ी ..

“मुझे तुम्हारे एक एक पल की खबर रहती है,और मैंने जो तुमसे काम कहा था तुम उसपर भी ध्यान नही दे रहे हो ,लगता है तुम अपनी बीवी के वर्तमान से ज्यादा उसके अतीत पर धयन दे रहे हो ,खान साहब को ये बिल्कुल भी पसंद नही आएगा “

उसने थोड़ा गुस्से से कहा ,मैंने एक बार अपनी बहनों की ओर देखा जो की मुझसे बहुत दूर थी और अपने आप में ही मस्त थी …

मेरे चहरे में एक कुटिल सी मुस्कान आ गई

“पहले तो मुझे ये समझ आ गया है की तुम खान साहब के लिए काम नही करती ….”

जैसे उसके होश उड़ गए उसके चहरे से ये बात साफ थी की मैंने उसे पकड़ लिया था ,

“और दूसरा तुम्हे मेरे पल पल की कोई खबर नही है वरना तुम यंहा मेरी जासूसी करने या मुझे धमकी देने नही आती “

वो बौखलाई ,लेकिन मैं मंद मंद मुस्कुराता रहा

“अच्छा तो तुम रश्मि के लिए काम करती हो ,तभी मैं भी सोचु की किसी को पता भी नही लगा और तुमने मुझे उस जगह से जंहा से मुझे बंदी बनाकर रखा था वँहा से होटल के कमरे तक कैसे लायी ,फिर तुम्हे जब काजल और मेरे बारे में सब कुछ पता है तो खान साहब कोई एक्शन लेने की बजाय मुझे को किडनैप करवाएंगे...रश्मि ने ये सब क्यो किया और खान साहब का नाम ही क्यो फसाया ये तो मुझे भी समझ में आ गया है ,लेकिन तुम्हारी क्या मजबूरी थी की तुम अजीम और खान को धोखा देकर रश्मि के साथ काम करने लगी …”

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