Untitled Part 10

3.3K 92 6
                                    

“तुमने  ये  शर्त  क्यों  मानी,आयशा?” अंकिता  ने  पूछा।

ठऔर  कोई  रास्ता  भी  तो  नही  था,”आयशा  ने  कहा।

“लेकिन  तुम  इतने  रुपये  1 साल  में  कैसे  चुकाओगी। इससे  तो  अच्छा  था  की  तुम  विनय  के  घर  वालों  की  बात  मान  लेती। इस  तरह  अपना  सौदा  ना  करती,” अंकिता  ने  कहा।

“मैंने  विनय  से  वादा  किया  था  कि  मैं  उसका  साथ  कभी  नही  छोड़ूँगी,” आयशा  ने  कहा।

“और  जब  तुम  पैसे  नही  चुका  पओगी,तब  क्या  होगा?विनय  भी  तुम्हारा  साथ  छोड़  देगा,जब  उसे  इस  बारे  में  पता  चलेगा,” अंकिता  ने  कहा।

“मुझे  नही  चुकाना  है,पैसा  विनय  चुकाएगा,” आयशा  ने  कहा।

“कैसे?उसकी  हालत  देखी  है  उसे  ठीक  होने  में  6-7 महीने  लग  जाएँगे,” अंकिता  ने  कहा।

“मुझे  नही  मालूम,कैसे?लेकिन  पैसा  विनय  चुका  देगा,”आयशा  ने  कहा।

“तुम  क्यों  इस  रिश्ते  को  बचाना  चाहती  हो  जब  तुम  दोनो  एक-दूसरे  से  प्यार  ही  नही  करते  हो,हर  दिन  तो  तुम  दोनों  में  लड़ाई  होती  है। तुम्हारे  लिए  अच्छा  होगा  की  तुम  विनय  के  घर  वालों  की  बात  मान  लो,”अंकिता  ने  कहा।

“विनय  मुझसे  नही  लड़ता,मैं  ज़िद  करती  हूँ,मैं  लड़ती  हूँ। मैं  उनका  साथ  नही  छोड़  सकती  चाहे  मुझे  कितने  भी  दुख  सहने  पड़े,” आयशा  ने  कहा।

अंकिता  कुछ  नही  बोली। थोड़ी  देर  में  हॉस्पिटल  आ  गया। आयशा  ने  फीस  जमा  की  और  वहीं  बेंच  पर  बैठ  गयी। उसके  सिर  में  बहुत  तेज  दर्द  हो  रहा  था।

“आप  ये  इंजेक्शन  और  दवाइयाँ  लेते  आइए,” नर्स  ने  आयशा  से  कहा।

आयशा  ने  नर्स  से  पर्चा  लिया  और  मेडिकल  स्टोर  चली  गयी। वो  ठीक  से  खड़ी  भी  नही  हो  पा  रही  थी  फिर  भी  किसी  तरह  उसने  दवाइयाँ  ली  और  आकर  नर्स  को  दी।   अचानक  उसे  चक्कर    आ  गया  और  वो  बेहोश  होकर  गिर  गयी। रात  को  भीगने  की  वजह  से  उसकी  तबियत  खराब  हो  गयी  थी। जब  उसे  होश  आया  तो  वो  भी  हॉस्पिटल  के  एक  बेड  पर  लेटी  हुई थी।  उसके  बगल  में  अंकिता  बैठी  थी।

“आयशा,ये  कुछ  फल  खा  लो  उसके  बाद  ये  दवाइयाँ,” अंकिता  ने  उसे  फल  पकड़ाते  हुए  कहा।

“मैंने  तुम्हारी  छुट्टी  के  लिए  अप्लिकेशन  लगा  दी  है,” अंकिता  ने  फिर  कहा।

थोड़ी  देर  रुकने  के  बाद  अंकिता  वहाँ  से  चली  गयी। विनय  का  एक्सिडेंट  आयशा  की  जिंदगी  में  बहुत  बड़ा  बदलाव  लाया। आयशा  रात  भर  विनय  के  पास  बैठी  रहती  और  सुबह  ऑफिस  जाती  उसे  इस  बात  का  ध्यान   ही  नही  रहता  था  की  उसने  सुबह  से  कुछ  खाया  है  या  नही,अंकिता  के  कहने  पर  थोड़ा  बहुत  खा  लेती  थी। एक  तरफ  विनय  की  हालत  में  सुधार  आ  रहा  था  तो  दूसरी  ओर  आयशा  की  तबियत  खराब  होती  जा  रही  थी। उसने  अपने  उपर  ध्यान  देना  छोड़  दिया  था,उसे  सिर्फ़  विनय  की  ही  चिंता  थी। विनय  का  एक्सिडेंट  हुए  1  महीना  हो  गया  था। इस  एक  महीने  में  आयशा  ने  बहुत  कुछ  सहा  था।   एक  महीने  में  उसने  खुद  को  बहुत  ज़्यादा  बदला,कभी  छोटी-छोटी  बात  पर  ज़िद  करने  वाली  आयशा  बहुत  गंभीर  हो  गयी  थी,रात  को  घर  पर  अकेले  रहने  से  डर  लगता  था  लेकिन  अब  वो  रात  को  अकेले  कहीं  जाने  से  भी  नही  डरती  थी। उसका  बचपना  कहीं  खो  गया  था  विनय  के  एक्सिडेंट  ने  उसे  बहुत  बड़ा  बना  दिया  था।

दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें