Untitled Part 40

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1 घंटे  बाद  विनय  वापस  आयशा  के  कमरे  में  गया  वो  सो  रही  थी,विनय  उसके  पास  में  बैठ  कर  उसके  सिर  पर  हाथ  फेरने  लगा,उसकी  तबियत  सच  में  खराब  थी,उसे  हल्का  बुखार  था। विनय  के  हाथ  लगाने  की  वजह  से  उसकी  नींद  खुल  गयी। उसने  अपनी  पलकें  उठा  कर  विनय  की  ओर  देखा  और  फिर  आँख  बंद  कर  ली।

“दर्द  कम  हुआ,” विनय  ने  पूछा।

“हाँ,अब  ठीक  हूँ,” आयशा  ने  दबी  हुई  आवाज़  में  कहा।

विनय  उसके  सिर  पर  हल्का-हल्का  हाथ  फिरा  रहा  था  और  आयशा  आँख  बंद  किए  लेती  हुई  थी। शाम  के  7:45बजे  थे।

“खाना  बनाना  है,” आयशा  ने  कहा,उसने  शायद  ये  बात  खुद  से  कही  थी।

“मैं  बना  लूँगा,” विनय  ने  कहा।

आयशा  ने  एक  पल  के  लिए  अपनी  पलकें  उठा  कर  विनय  की  ओर  देखा,उसका  ध्यान  कहीं  और  था  पर  नज़रें  आयशा  के  हाथ  पर  थी  जिसे  उसने  अपने  दूसरे  हाथ  से  पकड़  रखा  था।

रात  को  दोनों  ने  खाना  खाया  और  फिर  लेट  गये।

अगले  दिन  सुबह  8  बजे  विनय  काम  पर  चला  गया,आयशा  को  कहीं  नही  जाना  था  वो  घर  पर  ही  थी। उसने  पूरा  दिन  टी.वी.  देखकर  बिताया। रात  को  विनय  10बजे  वापस  घर  आया।

“आयशा,खाना  क्या  बनाया  है?” विनय  ने  पूछा।

“कुछ  नही,” आयशा  ने  कहा।

“क्यों?। तबियत  ठीक  नही  है  क्या?” विनय  ने  पूछा।

“ठीक  है,” आयशा  ने  कहा।

“फिर  क्यों?”

“मैं  कोई  नौकरानी  नही  हूँ,” आयशा  ने  कहा।

“पर  आयशा………” विनय  कुछ  कहने  जा  रहा  था  पर  चुप  हो  गया,बिना  कुछ  कहे  लेट  गया।

उनका  ये  रोज़  का  हो  गया  था,विनय  बाहर  ही  खाना  ख़ाता  था। आयशा  घर  पर  कभी  कुछ  नही  बनाती  थी  और  अगर  बनाती  थी  तो  सिर्फ़  अपने  लिए  जब  विनय  घर  पर  नही  होता  था।

विनय  को  कई  बार  देर  हो  जाती  थी,  जिस  वजह  से  उस  रात  वो  किसी  होटल  नही  जा  पाता  था  और  बिना  कुछ  खाए  सो  जाता  था  पर  आयशा  को  कभी  भी  अहसास  नही  होने  देता  था  की  वो  भूखा  है। आयशा  को  तो  जैसे  विनय  से  कोई  मतलब  ही  नही  रह  गया  था।

******how it is going?************

दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें