आयशा सबसे पहले हॉस्पिटल के काउंटर पर 2 लाख रुपये जमा करने गयी लेकिन किसी ने पहले ही पैसे जमा कर दिए थे। आयशा ने कुछ नही पूछा और विनय के पास चली गयी।
विनय सो रहा था या फिर आँख बंद करके लेटा था। देखने में वो बिल्कुल ठीक लग रहा था पैर का प्लास्टर भी खुल चुका था। आयशा विनय के सिर के पास स्टूल पर बैठ गयी,अपना एक हाथ विनय के सर पर रख दिया। हाथ रखते ही विनय की आँख खुल गयी।
“अब तबीयत कैसी है?” आयशा ने पूछा।
“ठीक हूँ……। तुम दो दिन कहाँ थी?” विनय ने पूछा।
आयशा ने उसकी बात का जवाब नही दिया और पानी पीने का बहाना बना कर वहाँ से हट गयी। वो रूम से बाहर निकली तो देखा की अंकिता सामने से आ रही थी।
“कहाँ चली गयी थी तुम?” अंकिता ने आयशा के पास पहुँचते ही उससे पूछा।
आयशा कुछ नही बोली,अपनी नज़रें नीचे झुका ली।
“तुम्हें मालूम है सब तुम्हारे बारे में किस तरह की बातें कर रहे हैं। विनय के मम्मी-पापा आए थे। वो तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे,तुम्हारे मम्मी-पापा भी आए थे। वो सब तो यहाँ तक कह रहे थे की तुम किसी के साथ भाग गयी हो। विनय को तुम्हारे बारे में ऐसी झूठी बातें बताई गयी हैं कि अब वह तुम से कभी मिलना भी नही चाहेगा। उसे नफ़रत हो गयी है,अच्छा होगा की तुम अपने घर चली जाओ। विनय अब तुम्हें नही अपनाएगा,”अंकिता ने आयशा को समझाते हुए कहा।
आयशा की आँखों से आँसू बहने लगे पर मुँह से एक शब्द भी नही निकला। अंकिता ने उसे रोने की वजह दे दी थी। आयशा वहीं साइड में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी,उसने अंकिता को जाने का इशारा किया,अंकिता चली गयी। दो घंटे बाद आयशा फिर से विनय के पास गयी। विनय की आखें बंद थी। आयशा वहीं स्टूल पर बिना आहट किए बैठ गयी,वो जैसे ही बैठी थी की किसी ने रूम का दरवाजा खोला,आयशा उसे देखकर एक झटके से उठ खड़ी हुई,विनय के पापा थे। वो बड़ी तेज़ी से अंदर आए विनय के बगल में बेड की दूसरी ओर खड़े हो गये। उनका ध्यान आयशा की ओर नही गया था जैसे ही वो बैठने वाले थे की उनकी नज़र आयशा पर पड़ी।
“तुम अब यहाँ क्यों आई हो?” विनय के पापा ने पूछा।
आयशा कुछ नही बोली।
“मेरे बेटे का पीछा छोड़ दो और यहाँ से चली जाओ। एक बार मेरे विनय ने तुम्हें अपना लिया इसका मतलब यह नही की वो तुम्हें हर बार अपना लेगा। तुम क्या सोचती हो कि विनय इस समाज की गंदगी को अपनाता रहेगा। हमने सोचा था कि जो हुआ उसे भूल कर तुम्हें अपना लें लेकिन तुम्हे तो कोई भी रिश्ता नही निभाना आता है। पहले अपने माँ-बाप को छोड़ा और अपने पति को भी,” विनय के पापा ने कहा।
“नही पापा,मैंने कुछ भी ग़लत नही किया है,” आयशा ने कहा।
“तुम्हारे लिए कुछ ग़लत है भी, तुम जैसी लड़की सिर्फ़ लोगों की जिंदगी बर्बाद करती हो। लोग अपनी इज़्ज़त के लिए क्या कुछ नही करते और तुमने पैसों के लिए खुद को ही बेच दिया,तुमने अपना ही सौदा कर लिया। तुम्हे लगता है की तुम कुछ भी करोगी किसी को कुछ पता नही चलेगा,तुम यहाँ किसी अमीर लड़के के साथ उसकी गाड़ी से आई थी,” विनय के पापा ने कहा।
“पापा,उसने मेरी मदद की थी मेरा उसके साथ कोई संबंध नही है,” आयशा ने कहा।
“हो सकता है की उसने तुम्हारी मदद की हो पर कोई किसी को 2 लाख रुपये ऐसे ही नही दे देता। तुमने सिर्फ़ 2 लाख के लिए अपने आप को बेच दिया। समाज ने तुम जैसी लड़कियों को ठीक ही नाम दिया है। तुम जैसी चरित्रहीन लड़की मेरे बेटे की पत्नी नही हो सकती,”विनय के पापा ने कहा।
“पापा,बस करिए किसी भी लड़की के चरित्र पर आप इस तरह से उंगली नही उठा सकते,आप ऐसे कैसे मुझे कुछ भी कह सकते हैं। मैं अपने पति को धोखा नही दिया,मुझे अपने आप को सही साबित करने की कोई ज़रूरत नही है। जब आप मुझे अपनी बहू नही मानते तो आप मुझे कैसे कुछ कह सकते हैं। मुझे कुछ भी कहने का अधिकार सिर्फ़ विनय को है,” आयशा ने कहा। इस बार वो रोयी भी नही थी, उसने अपने आँसुओं को बहने नही दिया।
“तुम सोचती हो की विनय तुम्हे अपना लेगा,ऐसा कुछ नही होगा विनय तुमसे नफ़रत करने लगा है।तुमने उसके विश्वास को तोड़ा है,वो तुम्हे कभी माफ़ नही करेगा,बैठी रहो यहीं कुछ देर में जब वो उठेगा तो वो खुद ही तुमसे रिश्ता तोड़ देगा,तब रोना बैठ कर,” विनय के पापा ने कहा और वो कमरे से बाहर चले गये।
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दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017
Romansaकुछ हो ना हो पर रिश्तों को निभाने के लिए जिन्दगी में प्यार होना ज़रूरी है। पर क्या सच में? अगर ऐसा है तो फिर आज प्यार से जोड़े गये रिश्ते क्यों टूटते हैं?क्यों अधिकतर लोग नयी उम्र में जिससे प्यार करते हैं, शादी के बाद उससे रिश्ता तोड़ लेते हैं?