दोनों ने मिलकर खाना बनाया और फिर एक साथ खाया। इस बीच दोनों की आपस में कई बार बहस हुई कभी सब्जी को काटने को लेकर तो कभी बनाने को लेकर।
आयशा ने सोने के लिए ज़मीन पर एक चादर बिछाई। उसके पास दो चादर थीं एक वो ओढती थी,एक बिछाती।
उसने विनय के लिए एक चादर बिछा दी थी और दूसरी उसे ओढ़ने के लिए दे दी। वो खुद अपने दुपट्टे को ज़मीन पर बिछा कर लेट गयी। वो किन हालत में जी रही थी इसका अंदाज़ा लगाना विनय के लिए कठिन नही था।
विनय ने आयशा को अपने पास लेटने के लिए कहा। पहले तो आयशा कुछ हिचकिचाई फिर उसी चादर पर वो भी लेट गयी,विनय के हाथ को तकिया बना कर।
“तुम इतनी ग़रीबी में यहाँ जी कैसे रही हो?” विनय ने पूछा।
“हम दोनों ऐसी जिंदगी पहले भी जी चुके हैं।”
“तब मजबूरी थी,आज कौन सी मजबूरी है?”
“कोई नही।”
“फिर क्यों?”
“बस ऐसे ही।”
“पागल हो,जो दिल में आया वो करने लगती हो।”
“हाँ,” आयशा ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा।
“तुमने दिल्ली क्यों छोड़ा?”
“तुमसे दूर होने के लिए।”
“फिर मुझे पास क्यों बुलाया?”
“मजबूरी थी,कुछ पैसों की,कुछ दिल की।”
“अब भी मुझसे प्यार है।”
आयशा ने कुछ नही बोला। लेकिन कहना तो चाहती थी-“मैं तुमसे बेपनाह प्यार करती हूँ। जितना डूब कर तुमने मुझसे प्यार किया है उतना ही मैंने भी तुमसे। पूरी तरह से टूट कर चाहा है तुम्हें,मेरे शरीर के हर रोएँ में बस तुम ही बसते हो। "पर अफ़सोस की उसके ये शब्द उसके दिल तक ही सीमित रह गये ज़ुबान से वो कुछ भी नही कह सकी।
“बोलो,क्या अब भी तुम मुझसे प्यार करती हो?”
“हाँ,…………………क्यों कि तुम बहुत अच्छे हो। कितना भी दुख हो पर तुम्हारे करीब होती हूँ तो सब भूल जाती हो,मैं खुद को तुम्हारे साथ सुरक्षित महसूस करती हूँ। बहुत दोस्त बने कोई अच्छा तो कोई बुरा पर तुम जैसा मुझे कोई ना मिला। खुद से ज़्यादा भरोसा है तुम पर,दुनिया में अगर किसी को दिल से पाना चाहा है तो सिर्फ़ तुम्हे। मेरे लिए एक पल भी तुम्हारे बिना रहना बहुत मुश्किल है,विनय। मैं समीर के साथ घूमती ज़रूर थी पर हर पल तुम्हारे बारे में सोचती थी कि काश तुम मेरे साथ होते,मुझे तुम्हारी खुशी चाहिए और कुछ भी नही। मैंने तुम्हे भी इसीलिए छोड़ा ताकि तुम अपने घर वापस लौट जाओ। जिंदगी के गम भुलाने के लिए संध्या की जिंदगी तुम्हारे साथ जोड़ दी……,” आयशा की आँख से आँसू बहने लगे,विनय की आँखें भी भर आई थी।
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दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017
Romanceकुछ हो ना हो पर रिश्तों को निभाने के लिए जिन्दगी में प्यार होना ज़रूरी है। पर क्या सच में? अगर ऐसा है तो फिर आज प्यार से जोड़े गये रिश्ते क्यों टूटते हैं?क्यों अधिकतर लोग नयी उम्र में जिससे प्यार करते हैं, शादी के बाद उससे रिश्ता तोड़ लेते हैं?