Untitled Part 17

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“तुम  जाकर  सो  जाओ  रात  बहुत  हो  गयी,” समीर  ने  कहा  और  खुद  वहाँ  से  उठ  कर  एक  कमरे  में  चला  गया। आयशा  भी  अपने  कमरे  में  चली  गयी  और  दरवाजा  अंदर  से  बंद  कर  लिया। उसे  लेटे  थोड़ी  ही  देर  हुई  थी  की  समीर  ने  दरवाजा  खटखटाया। आयशा  ने  दरवाजा  खोला  तो  समीर  तुरन्त  कमरे  के  अंदर  आ  गया। आयशा  को  समीर  की  ये  हरकत  बुरी  लगी  और    थोडा  डर  भी  लगा। समीर  बेड  पर  बैठ  गया,उसने  आयशा  को  अपने  बगल  बैठने  का  इशारा  किया। आयशा  बैठना  तो  नही  चाहती  लेकिन  वो  समीर  को  मना  भी  नही  कर  पाई,वो  बेड  पर  समीर  से  थोड़ी  दूरी  बना  कर  बैठ  गयी।

“क्या  हुआ ? आप  यहाँ  क्यों  आए  हैं?” आयशा  ने  पूछा।

“मैं  तुम्हारे  लिए  कुछ  कपड़े  लाया  हूँ,” समीर  ने  आयशा  को  कपड़े  पकड़ाते  हुए  कहा।

समीर  उसके  लिए  ब्लैक  सलवार-सूट  और  ब्लू  जीन्स,रेड  टॉप  लाया  था।

“मैं  जीन्स  नही  पहनती  और  आपको  मेरे  लिए  ये  सब  करने  की  ज़रूरत  नही  है,” आयशा  ने  कहा।

“जीन्स  क्यों  नही  पहनती,अच्छी  लगोगी,” समीर  ने  कहा।

“मैं  ब्लैक  सूट  में  ज़्यादा  अच्छी  लगती  हूँ,आपका  लाया  हुआ  सूट  मुझे  ज़्यादा  पसन्द  है  पर  मैं  जीन्स  नही  पहन  सकती,” आयशा  ने  हँसते  हुए  कहा।

वो  बहुत  दिन  बाद  वो  खुल  कर  हँसी  थी। जो  कुछ  वो  विनय  से  चाहती  थी  वो  उसे  समीर  से  मिल  रहा  था।

“एक  बार  जीन्स  पहन  कर  तो  देखो,”समीर  ने  उससे  थोड़ा  ज़िद  करते  हुए  कहा।

“आप  मेरे  कौन  हो ? जो  आपके  लिए  मैं  ………,”आयशा  ने  कहा।

“कोई  बात  नही  ना , पहनो  जीन्स  पर  मुझे  तो  इस  तरह  पराया  ना  करो,” समीर  ने  आयशा  के  हाथ  पर  हाथ  रखते  हुए  कहा।

आयशा  हँस  दी  और  अपना  हाथ  पीछे  खींच  लिया।

“तुम्हें  तो  अब  भी  बुखार  है  और  तुम  कह  रही  थी  तुम  ठीक  हो,” समीर  ने  कहा।

“बस  हल्का-सा  ही  तो  है,” आयशा  ने  बड़ी  ही  मासूमियत  से  बच्चों  की  तरह  कहा।

समीर  उसके  इस  तरह  से  बोलने  पर  हँस  दिया।

“अब  तुम  सो  जाओ,मुझे  तो  अभी  किसी  का  इंतज़ार  करना  है,” समीर  ने  कहा  और  वो  कमरे  से  बाहर  हॉल  में  चला  गया।

दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें