Untitled Part 3

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*वो  वहीं  पार्क  में  चली  गई,जहाँ  उसे  कई  बार  विनय  मिला  था। इस  आश  में  की  शायद  विनय  मिल  जाए  और  हुआ  भी  ऐसा  ही  विनय  वहीं  था। आयशा  विनय  के  पास  गयी।

“विनय,मैंने  अपना  घर  छोड़  दिया  है  क्या  तुम  मेरी  कोई  मदद  कर  सकते  हो?”  उसने  विनय  से  कहा।

“नहीं,मैं  कोई  मदद  नही  कर  सकता  हूँ,”विनय  ने  कहा।

“क्यों?”

“मैंने  तुमसे  पहले  ही  कह  दिया  था  की  मैं  तुमसे  प्यार  नही  करता  फिर  तुमने  मेरे  लिए  घर  क्यों  छोड़ा।”

‘मैंने  तुम्हारे  लिए  नही  छोड़ा,कोई  बात  हो  गयी  थी  इसलिए।”

“मेरे  पास  क्यों  आई  हो…………। और  अच्छा  होगा  की  तुम  अपने  घर  वापस  लौट  जाओ,हो  सकता  है  की  कोई  बड़ी  बात  हो  पर  घर  से  अच्छा  कुछ  नही  होता।”

आयशा,विनय  के  सामने  रोने  लगी  वो  रोते  हुए  बोली-“मैं  अब  घर  नही  जा  सकती  मैं  तुम्हारे  भरोसे  हूँ  प्लीज़  मेरी  मदद  करो। ”

आयशा  ने  विनय  को  एक  गहरी  सोच  में  डुबो  दिया  था। वो  चाहकर  भी  उसकी  कोई  मदद  नही  कर  सकता  था,उसने  खुद  दुनिया  नही  देखी  थी।

“मुझे  माफ़  करना  मैं  तुम्हारी  कोई  मदद  नही  कर  सकता,मैं  तुम्हे  लेकर  कहाँ  जाऊँगा?” विनय  ने  कहा।

 “मुझे  कहीं  भी  ले  चलो,अगर  कोई  जगह  ना  हो  तो  मुझे  ले  जाकर  बेच  दो  या  फिर  मेरे  साथ  तुम  कुछ  भी  करो  मैं  कुछ  नही  कहूँगी,ज़िंदगी  तो  बर्बाद  होगी  ही  क्यों  ना  तुम  ही  कर  दो,”  आयशा  ने  विनय  की  ओर  देखे  बिना  कहा।

विनय  कुछ  नही  बोला  वो  उसे  देखता  ही  रह  गया,एक  लड़की  अपने  को  बेचने  की  बात  कैसे  कर  सकती  है  ? लड़किया  तो  इससे  बेहतर  मरना  पसंद  करती  हैं  और  ये  ऐसी  बात  कर  रही  है।

दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें