“पानी?” आयशा ने पूछा।
“नही।”
“यहाँ क्यों आए हो?”
“तुम्हें अपने साथ ले जाने और किस लिए?” विनय ने कहा।
“पर मैं अब तुम्हारे साथ नही चल सकती हूँ।”
“क्यों नही चल सकती हो?”विनय ने कहा।
“मैंने वापस लौटने के लिए घर नही छोड़ा है।”
“छोड़ा ही क्यों?किसका खून?तुम क्या कह रही हो?मुझे कुछ नही सुनना है……। बस तुम मेरे साथ चलो। मैं तुम्हे इस तरह से जिंदगी जीने नही दे सकता हूँ,”विनय ने कहा।
“क्यों कुछ नही सुनना विनय,क्या तुम्हें इससे कोई फ़र्क नही पड़ता की मेरे साथ क्या हुआ?”आयशा ने कहा।
विनय कुछ देर चुप रहने के बाद बोला-“सब कुछ सुनना है,तुम्हारे हर दर्द को बाँटना है,लेकिन यहाँ नही आयशा,घर चलो वहाँ।”
“मैं नही चल सकती,विनय,तुम मुझसे ज़िद मत करो,” आयशा ने कहा।
विनय कुछ नही बोला।
“तुम जानना चाहोगे की उन 10 दिन मैं कहा रही,मैंने किसका खून किया है।”
“हाँ।”
“समीर का खून……।”
“समीर का क्यों?”
“तुमने मुझसे जॉब छोड़ने के लिए कहा था,मैंने उसी दिन जॉब छोड़ दी थी उसके बाद समीर से मिलने गयी थी। उससे कहने के लिए कि अब मैं उससे कभी नही मिल सकती हूँ। समीर अच्छा इंसान नही था मुझे कई बार ऐसा लगा कि वो सिर्फ़ अच्छा बनने की कोशिश करता है पर मैं ध्यान नही देती थी। उस दिन जब मैंने उससे कहा की अब मैं उससे नही मिल सकती तो उसने मेरे साथ……………। 10 दिन तक वो मेरे साथ खेलता रहा और मैं कुछ नही कर सकी। जी तो चाहता था खुद को मिटा लूँ पर जिंदगी ने मेरे साथ पहली बार तो खेल खेला नही था,मुझे तो आदत सी हो गयी थी जिंदगी के सितम सहने की। जब भागने का मौका मिला तो वापस घर लौट आई लेकिन किसी ने मुझसे मेरा हाल नही पूछा,मुझे भला-बुरा कहा। क्या सिर्फ़ इसलिए की मैं एक लड़की हूँ?मेरे साथ क्या हुआ इससे किसी को कोई फ़र्क नही पड़ा। मैंने सोचा था की तुम मुझसे इतना प्यार करते हो की मेरा दर्द समझ जाओगे,मेरी ताक़त बनोगे, समीर को सज़ा दिलाओगे पर ऐसा कुछ नही हुआ। तुमने मुझसे एक बार भी नही पूछा कि मैं कहाँ थी? किस हालत में थी?इस हादसे को भूल कर मैंने फिर से एक नयी जिंदगी की शुरुआत तो कर ली थी लेकिन उसी तरह जी नही सकी। यही वजह थी की कभी तुमसे रूठ जाती तो कभी…………,” आयशा ने कहा।
“तुम्हें मुझसे एक बार कहना तो चाहिए था और जब तुम वापस आ ही गयी थी तो फिर घर क्यों छोड़ा?”विनय ने पूछा।
“क्यों क़ि मुझमें समीर का अंश पल रहा है,इसलिए मैंने समीर को भी मारा और घर भी छोड़ा,” आयशा ने कहा।
“तुमने कुछ भी किया हो, मुझे इससे कोई फ़र्क नही पड़ता। तुम मेरे साथ घर चलो,”विनय ने कहा।
“बच्चों की तरह ज़िद ना करो। मैं जैसे भी जी रही हूँ जीने दो मुझे,” आयशा ने कहा।
“मैं नही जी सकता तुम्हारे बिना।”
“संध्या के सहारे जियो……………………। विनय वापस चले जाओ,मेरी वजह से कितना सहोगे?अगर मैं तुम्हारे साथ चली भी तो ये समाज हमें नही जीने देगा।”
“हमने समाज की परवाह कब की,आयशा?”
“जो भी हो मुझे यहीं रहना है,इसी घर में,इसी तरह से,” आयशा ने कहा।
“कभी मेरे करीब आना चाहती थी और आज मुझसे ही दूर……………,” विनय ने कहा।
“आज दूर होना ही अच्छा है,” आयशा ने कहा।
“आयशा,संध्या के लिए ही चलो।”
“नही चल सकती,………। तुम जाओ यहाँ से।”
विनय चला गया,उसके जाने के बाद आयशा तकिये में मुँह दबा कर रोने लगी।
आप पढ़ रहे हैं
दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017
Romanceकुछ हो ना हो पर रिश्तों को निभाने के लिए जिन्दगी में प्यार होना ज़रूरी है। पर क्या सच में? अगर ऐसा है तो फिर आज प्यार से जोड़े गये रिश्ते क्यों टूटते हैं?क्यों अधिकतर लोग नयी उम्र में जिससे प्यार करते हैं, शादी के बाद उससे रिश्ता तोड़ लेते हैं?