Untitled Part 24

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दो  दिन  बाद  विनय  घर  आ  गया। उसकी  तबियत  ठीक  थी  पर  वो  ठीक  से  चल  नही  पता  था। आयशा  अपने  ऑफिस  जाने  लगी। विनय  जब  से  हॉस्पिटल  से  घर  आया  थातब  से  कुछ  अलग  ही  व्यवहार  कर  रहा  था  वो  दिन  भर  लेटा  रहता  और  आयशा  से  कुछ  ना  कुछ  करने  को  कहता  रहता। आयशा  सुबह  ऑफिस  जाने  से  पहले  खाना  बनाकर  जाती  थी,आती  तो  भी  वही  खाना  बनाती  थी। घर  का  सारा  काम  भी  वही  करती  थी  लेकिन  उसके  बाद  भी  विनय  उससे  कुछ  ना  कुछ  कहा  ही  करता  था।

आयशा,मेरे  लिए  फल  लेती  आना,आयशा  एक  लैपटॉप  ले  आना,आयशा  ये  ले  आना,  वो  ले  आना  बहुत  कुछ  कहता  रहता  था। एक  बार  भी  ये  नही  सोचता  था  की  आयशा  के  पास  इतने  पैसे  कहाँ  से  आएँगे,वो  उसके  लिए  लैपटॉप  कैसे  लाएगी  कुछ  भी  नही। वो  लगभग  पूरी  तरह  से  ठीक  ही  था  लेकिन  वो  कुछ  नही  करता  था। एक  गिलास  पानी  भी  वो  खुद  नही  लेता  वो  भी  आयशा  से  माँगता  था। आयशा  रात  को  विनय  के  सोने  के  बाद  ही  सोती  थी  और  सुबह  विनय  से  पहले  उठती  थी। वो  कहीं  से  भी  रुपयों  का  इंतज़ाम  करके  विनय  के  लिए  हर  वो  चीज़  लेकर  आती  जो  उसे  चाहिए  होता  था। उसने  विनय  को  लैपटॉप  खरीद  कर  दे  दिया। विनय  दिन  भर  लैपटॉप  चलाता  रहता,जब  आयशा  कहीं  जाने  लगती  तो  उससे  कहता  आयशा  नेट  पैक  करा  देना। आयशा  विनय  से  थोड़ा  चिढने  लगी  थी,विनय  उससे  जब  कुछ  कहता  तो  उसे  बहुत  गुस्सा  आता  था  लेकिन  वो  विनय  से  कुछ  भी  नही  कहती  थी। आयशा  के  विनय  से  चिडने  की  वजह  विनय  का  ही  व्यवहार  था,ऐसा  लग  रहा  था  जैसे  विनय  ने  आयशा  को  परेशान  करने  की  कसम  खा  ली  हो  या  फिर  उससे  कोई  बदला  ले  रहा  है।

आयशा  अपने  घर  आने  जाने  लगी  थी।  दोनों  के  घर  वाले  मान  गये  थे।  विनय  के  परिवार  वाले  आयशा  को  अपनी  बहू  मानने  के  लिए  तैयार  थे। एक  दिन  विनय  के  मम्मी-पापा  उन्हें  घर  वापस  ले  जाने  के  लिए  आए। पर  विनय  ने  घर  वापस  जाने  से  मना  कर  दिया।

“तुम  घर  चलने  के  लिए  क्यों  तैयार  नही  हो?” विनय  की  माँ  ने  विनय  से  पूछा।

“जिस  घर  में  मेरी  पत्नी  की  कोई  इज़्ज़त  ना  हो  उस  घर  में  मैं  नही  रह  सकता। आप  ने  ही  सिखाया  है  कि  पति  का  धर्म  होता  है  कि  वो  पत्नी  का  हर  सुख-दुख  में  साथ  दे। आयशा  3घंटे  तक  बारिश  में  बाहर  भीगती  खड़ी  रही  पर  किसी  को  कोई  फ़र्क  नही  पड़ा,उसे  क्या  कुछ  नही  कहा  आप  लोगो  ने। मैं  हमेशा  यही  सोचता  था  कि  कब  आप  लोग  हमें  माफ़  करोगे,कब  हमें  घर  वापस  आने  के  लिए  कहोगे,मैं  घर  वापस  आना  चाहता  था  लेकिन  अब  मुझे  घर  नही  चलना। मैं  बेटे  होने  का  हर  फ़र्ज़  निभाऊँगा,  पर  घर  कभी  नही…………आयशा  आपसे  मिलने  घर  जा  सकती  है  पर  मैं  नही…………” विनय  ने  कहा।

उसके  मम्मी-पापा  विनय  से  कुछ  नही  कह  सके  वो  चुपचाप  वहाँ  से  चले  गये। आयशा  भी  वहीं  बैठी  थी  उसने  रोकना  तो  चाहा  पर  विनय  की  वजह  से  चुप  हो  गयी। विनय  बहुत  बदल  गया  था  वो  आयशा  से  ही  नही  अपने  मम्मी-पापा  से  भी  अच्छे  से  बात  नही  कर  रहा  था। आयशा  ने  उनके  जाने  के  बाद  विनय  को  समझाना  चाहा  पर  उसने  आयशा  को  इस  बारे  में  कोई  भी  बात  करने  से  साफ  मना  कर  दिया। **If it heart touching then like it**

दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें