आयशा कई-कई दिन घर नही जाती थी। हॉस्पिटल से ऑफिस और ओफिसे से हॉस्पिटल यही उसकी दिनचर्या हो गयी थी। सुबह से उसका सिर बहुत तेज दर्द हो रहा था और उसे उल्टियाँ भी आ रही थी,इस वजह से वो ऑफिस नही गयी। आयशा ऑफिस नही गयी थी इसलिए अंकिता उससे मिलने हॉस्पिटल आ गयी।
“विनय की हालत कैसी है?”अंकिता ने पूछा।
“ठीक है।”
“और तुम्हारी?” अंकिता ने फिर पूछा।
आयशा कुछ नही बोली।
“तुमने सुबह से कुछ खाया या नही।”
आयशा फिर कुछ नही बोली।
“आयशा,तुम अपनी हालत देख रही हो,मुझे तो लगता है की कहीं तुम ही ना मर जाओ……।”
“तुम अपना थोड़ा तो ख्याल रखो,कितनी सुंदर दिखती थी तुम और अब देखो अपने को……। आज तुम इतनी कमजोर हो गयी हो की ठीक से खड़ी भी नही हो पा रही हो,”अंकिता ने कहा।
“तो मैं क्या करूँ?मुझसे सब कुछ नही संभाला जाता,मैंने आज तक अकेले कुछ नही किया है और आज मुझे सब कुछ अकेले ही करना पड़ रहा है। मुझे किसी का सहारा चाहिए मैं अपना दर्द तो किसी से बाँट सकूँ। पहले विनय तो था साथ में, अब कोई नही है,”आयशा ने कहा।
“तुम अपने घर क्यों नही चली जाती। हो सकता है कि उन्होनें तुम्हे माफ़ कर दिया हो,” अंकिता ने कहा।
“जब विनय के घरवाले विनय की इस हालत में भी उसका साथ नही दे रहे तो क्या मेरे मम्मी-पापा देंगे?मेरी किस्मत में सिर्फ़ रोना ही लिखा है। जब घर नही छोड़ा था तब भी रोयी,घर छोड़ने के बाद भी रोयी,विनय के साथ भी रोयी और आज जब विनय इस हालत में हैं तब भी रो रही हूँ,” आयशा ने कहा।
“ज़रूरी नही की सबकी सोच एक जैसी हो,हो सकता है की तुम्हारे घरवाले तुम्हारा साथ दें एक बार घर जा कर तो देखो,” अंकिता ने कहा।
“गयी थी एक बार जब मेरी जॉब लगी थी,घर पर प्रिया(आयशा की छोटी बहन) थी मैं उससे कुछ कहती उससे पहले वो मुझसे बोली-‘दीदी,आप यहाँ क्यों आई हो,मम्मी ने देख लिया तो वो मुझे बहुत डाटेंगी। मम्मी आपसे बहुत नफ़रत करती हैं , उन्होंने हमसे भी कहा है कि अगर हम आप से कभी मिले तो मुझसे भी रिश्ता तोड़ देंगी,उनके लिए आप मर चुकी हो………।‘ वो और कुछ कहती उससे पहले ही मैं बिना कुछ कहे लौट आयी,”आयशा ने कहा।
“तुमने कुछ भी ग़लत नही किया आयशा,वो तुम्हारी शादी 31साल के आदमी से करा रहे थे,ऐसे में तुम क्या करती,तुमने किसी के प्यार में पड़ कर,उनका दिल दुखा कर घर नही छोड़ा था बल्कि तुम्हारा दिल दुखा था,” अंकिता ने कहा।
“आज का मालूम नही लेकिन मेरी माँ मुझसे बहुत प्यार करती थी। वो मेरी शादी उससे कभी नही करती वो तो सिर्फ़ मुझे देखने आए थे और मम्मी ने जो कुछ भी कहा था उस समय गुस्से में कहा था मैं ही ज़िद कर बैठी थी,” आयशा ने कहा।
कुछ देर दोनों कुछ नही बोले। आयशा,अंकिता का सहारा लेकर खड़ी हुई और बोली-“मुझे मेरे घर छोड़ दो,सह लूँगी मम्मी की डाँट आख़िर कितनी देर गुस्सा रहेंगी। ”
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दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017
Romanceकुछ हो ना हो पर रिश्तों को निभाने के लिए जिन्दगी में प्यार होना ज़रूरी है। पर क्या सच में? अगर ऐसा है तो फिर आज प्यार से जोड़े गये रिश्ते क्यों टूटते हैं?क्यों अधिकतर लोग नयी उम्र में जिससे प्यार करते हैं, शादी के बाद उससे रिश्ता तोड़ लेते हैं?