विनय अपने दोस्त के घर कुछ दिन इसी आश में रुका रहा क़ि शायद आयशा मान जाए,लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ। आयशा हर रोज़ वहाँ काम करने आती,उसे कोई फ़र्क नही पड़ता था की विनय उसे इस हालत में देख रहा है। ना तो विनय ने उससे कभी कोई बात की ना ही उसने कभी कुछ कहा। जब विनय को कोई उम्मीद नही दिखी तो वापस अपने शहर आ गया।
संध्या को लेकर अपने घर जाने लगा तो उसकी माँ बोली-“तुम अब यहीं रहो। ”
“आयशा के साथ इस घर में रह सकता हूँ उसके बिना नही,” विनय ने कहा।
संध्या को लेकर वो अपने बनाए हुए घर में आ गया। विनय सुबह संध्या को स्कूल छोड़ते हुए ऑफिस चला जाता। दोपहर में रिया संध्या को संभालने के लिए आ जाती थी। विनय भी 6 बजे तक घर आ जाता था,उसके आने के बाद रिया चली जाती थी।
कुछ महीने बीत गये,इन कुछ महीनो में विनय ने अपना बिजनेस बहुत ज़्यादा बड़ा लिया। साथ ही उसने ग़रीब बच्चों के लिए स्कूल भी खोले,ऐसी औरतों के रहने की व्यवस्था की जिन्हे समाज ने ठुकरा दिया या फिर जो मजबूर और बेसहारा हो। उसका सोचना था की शायद इन सब कामों की वजह से आयशा मान जाए। विनय ने कई बार उससे बात करने ,मिलने की कोशिश की लेकिन कुछ भी नही हो सका क्यों कि विनय के वापस लौटने के बाद आयशा वहाँ से कहीं और चली गयी। कहाँ? किसी को नही पता।
विनय बहुत तेज़ी से उँचाई पर जा रहा था। उसके पास पैसों की कोई कमी नही रह गयी थी अब वो शहर के अमीर लोगों में एक था। शहर में उसका नाम भी हो गया था। बाहर की दुनिया को विनय ने आबाद कर लिया था लेकिन दिल की दुनिया आज भी बर्बाद थी। जिंदगी में पैसा तो था लेकिन खर्च करने वाली नही।
क्या प्यार किसी को इतना कमजोर कर देता है की सब कुछ होते हुए भी हम कभी खुश नही रह पाते। खुशियाँ हमारे चारो ओर खेल रही होती हैं फिर भी मन उदास होता है किसी की यादों में खोया रहता है। कभी विनय के लिए आयशा की आँखों में आँसू थे और आज विनय आयशा के लिए रो रहा था। दोनों ने कभी नही सोचा था की उन्हें एक दूसरे से इतना प्यार हो जाएगा।
आयशा को घर छोड़े हुए 7 महीने हो गये थे। विनय के लिए तो जैसे आज ही वो घर छोड़ कर गयी थी। विनय को खुद से ज़्यादा संध्या की फ़िक्र थी अभी कुछ दिन पहले अचानक संध्या की तबीयत बहुत ज़्यादा खराब हो गयी थी। डॉक्टर ने बताया कि उसके दिल में छेद है। ज़रूरत पड़ने पर ओपरेशन भी करना पड़ सकता है। उसे देखभाल की बहुत ज़्यादा ज़रूरत थी। ऐसे में विनय के लिए आयशा का ना होना और भी दुख दे रहा था। उसके दिल में आता –“क्या आयशा, संध्या के लिए भी घर वापस नही आएगी पर आयशा को संध्या के बारे में पता कैसे चलेगा?”विनय ज़्यादातर समय घर पर ही रहता ताकि संध्या का ध्यान अच्छे रख सके अच्छे से अच्छे डॉक्टर तो थे पर उस मासूम की माँ उसके साथ नही थी। कई बार संध्या विनय से पूछती थी-“पापा,मेरी मम्मी कहाँ है?सबकी मम्मी होती हैं पर मेरी क्यों नही है?”
विनय के पास उसके इस मासूमियत भरे सवाल का कोई जवाब नही होता। इतने दिनों में संध्या आयशा को भूल गयी थी पर दूसरों की मम्मी को देखकर वो ज़िद करने लगती थी।
******HAPPY HOLI********
आप पढ़ रहे हैं
दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017
Romansकुछ हो ना हो पर रिश्तों को निभाने के लिए जिन्दगी में प्यार होना ज़रूरी है। पर क्या सच में? अगर ऐसा है तो फिर आज प्यार से जोड़े गये रिश्ते क्यों टूटते हैं?क्यों अधिकतर लोग नयी उम्र में जिससे प्यार करते हैं, शादी के बाद उससे रिश्ता तोड़ लेते हैं?