25 collage ki love story

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2 से 3 महीने में सभी को उनका प्यार मिल जाता है फिर एक दिन सभी बगीचे में इकट्ठा होते हैं ।मिहिर मीरा के शरीर में फिर से प्रवेश कर जाता है और वे सभी उस आत्मा की रिहाई के लिए एक के ऊपर एक हाथ रखकर यमराज से प्रार्थना करते हैं। उनकी प्रार्थना यमराज तक पहुंचती है और यमराज का ध्यान उस डिब्बे की ओर जाता है ।उनकी प्रार्थना को सुनकर वे उस आत्मा को उस डिब्बे से आजाद करते हैं आजाद होकर वह आत्मा धरती की ओर बढ़ते हुए उन छह जिंदगी के पास आती है वह आत्मा उन्हें बताती है कि वह अपने पूर्व जन्म की बहन के पास जाना चाहता है वे सभी उसे उसके पास ले जाने का निर्णय करते हैं और उस रूह को एक डिब्बे में फिर से रख लेते हैं।

ऐसा करने वाले दिन ही वह आत्मा पार्थ को सपना दिखाती है और उसे उसकी बहन के पते के बारे में बताती है वह उसे यह भी बताती है कि वह उसके गर्भ में जाना चाहती है।वे सभी उसे उसके बहन के पते पर ले जाते हैं ।वह अब भी वैसी ही लग रही थी बस समय के साथ उम्र बढ़ गई थी वहां जाने पर उन्हें पता चलता है कि वह अब तक कभी मां नहीं बन सकी। वे समझ जाते हैं कि वह आत्मा उसके गर्भ में क्यों जाना चाहती है। वे कमला को बताते हैं कि हम सब आपके भाई की आत्मा से ही बने हैं। उसे यह जानकर आश्चर्य होता है वह उनके बात को मान लेती हैं वह उनसे मिलकर बहुत खुश होती है वे कमला को बताते हैं कि उनकी एक आत्मा जो अब तक कैद थी वह उसके गर्भ में शरण लेना चाहती है और उसका अंश बनकर जन्म लेना चाहती है ।कमला यह जानकर बहुत खुश होती है कि उसे मां बनने का सौभाग्य मिलेगा वह उस आत्मा को अपने गर्भ में लेने को तैयार हो जाती है‌। सभी मिलकर हाथ के ऊपर हाथ रखकर उस आत्मा को डब्बे से फिर आजाद करते हैं और वह आत्मा उसके गर्भ में चली जाती है। कार्य होने पर कमला उन्हें अपने होटल में नाश्ता कराती है । वे सभी उससे अलविदा लेते हैं। विदा लेने के बाद वे हॉस्टल के लिए फिर निकल पड़ते हैं ।

हास्टल के रास्ते में ही पार्थ का घर पड़ता था सभी पार्थ के घर जाते हैं उसकी मां सबको देखकर चकित हो जाती है और पूछती है कि अचानक यहां कैसे आना हुआ। तब पार्थ उसे उनके सात जिंदगी के बारे में पूरी कहानी बताता हैं यह बात सुनकर वह रोने लगती है उसे पता चल गया था कि वे जिसकी बात कर रहे हैं वह उसी से जुड़ी हुई है वह रोते हुए पार्थ से क्षमा मांगती है वह कहती है कि तुम लोगों की तकलीफ के लिए मैं ही जिम्मेदार हूं। मैं ही वो लड़की हूं जिसने उस बच्चे को रेलवे के किनारे छोड़ दिया था। मैं वही प्रीता हूं। यह सुनने के बाद पार्थ उससे गुस्सा हो जाता है और उठ कर वहां से चला जाता है। वह अन्य बच्चों को बताती है कि मेरी मजबूरियां थी मैं कम उम्र में ही मां बन गई थी और समाज के डर से मैंने उसे छोड़ दिया । सभी उन्हें शांत कराते हैं और उन्हें कहते हैं कि जो हुआ वह भाग्य की मर्जी थी भाग्य के आगे किसी का नहीं चलता। वे उन्हें माफ भी कर देते हैं। सभी मित्र पार्थ को भी समझाते हैं कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी ।यह सब भाग्य का खेल था जो भाग्य में लिखा है वह हमेशा होकर रहता है। हमारी सात जिंदगियां होनी थी तो हो गई। पार्थ भी बात को समझता है और मान जाता है। फिर वे सभी हॉस्टल चले जाते हैं।

समय फिर बितता है और 9 महीने बाद उस बच्चे का जन्म नये भाग्य के साथ होता है। अब पार्थ को सपने आना भी बंद हो गए थे और वह रिया के साथ अपनी जिंदगी खुशी-खुशी जी रहा था। इस प्रकार सात जिंदगी की कहानी अभी के लिए खत्म होती है यह और आगे बढ़ेगी कमला के बेटे की कहानी के रूप में तब के लिए धन्यवाद।

समय फिर बितता है और 9 महीने बाद उस बच्चे का जन्म नये भाग्य के साथ होता है। अब पार्थ को सपने आना भी बंद हो गए थे और वह रिया के साथ अपनी जिंदगी खुशी-खुशी जी रहा था। इस प्रकार सात  जिंदगी की कहानी अभी के लिए खत्म होती है यह और आगे बढ़ेगी कमला के बेटे...

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