प्रिय पाठकगण,
ये किताब लिखने का मेरा उद्देश्य आप सब को इस बात से अवगत कराना है कि
इस दुनिया मेँ कोई भी ऐसी समस्या नहीँ है जिसका समाधान आप नहीँ कर सकते ।
प्रायः यह देखने मेँ आता है कि इँसान के सामने जब कोई समस्या आती है तो वह एकदम घबरा जाता है और भावनाओँ मेँ बहकर कभी क्रोध कभी
चिँता कभी मोह माया तो कभी स्वार्थ या धर्म सँकट मेँ पडकर समस्या का समाधान करने मेँ असफल रहता है या समाधान के लिये गलत फैसला ले लेता है । ऐसी स्थिति मेँ व्यक्ति को चाहिये कि वो जोश मेँ न आये बल्कि विवेक और शान्ति से काम लेँ क्योंकि आपका दिमाग जितना अधिक शान्त रहेगा आपका कोई भी फैसला उतना ही अच्छा साबित होगा इसके बिपरीत आप जितना उग्र होकर या क्रोध मेँ फैसला लेँगे आपके फैसले मेँ उतनी ही ज्यादा कमियाँ होँगी ।
आदमी जब
क्रोध मेँ होता है तो वो जीवन के जो आधारभूत सच है, जो कभी नहीँ बदलते , को भूल जाता है । अगर हम इन्ही कुछ जीवन के न बदलने वाले सत्य को ध्यान मेँ रखेँ तो हम कम से कम गलतियाँ करेँगे
और अधिक से अधिक अच्छे और सही फैसले ले सकेँगे ।
आगे हम कुछ आधारभूत सत्योँ की चर्चा करेँगे ।
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जीवन के आधारभूत सत्य
Spiritualहर इंसान के जीवन में ऐसा समय जरूर आता है जब उसे समझ में नहीं आता कि वो क्या करे और क्या न करे या किधर जाये किधर न जाये ऐसे में कुछ आधारभूत सत्य उसका मार्गदर्शन कर सकते है ।