आवेश में आकर अपनों से रिश्ते तोड़ लेना आजकल आम बात हो गयी है ।क्रोध में हम सम्बंध तो तोड़ लेते हैं लेकिन बाद में एहसास होता है कि हमने बहुत गलत किया परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मैं आप सबसे बस इतना कहना चाहता हूँ कि नाराजगी अपनी जगह है लेकिन नाराजगी को इतना अधिकार मत दीजिये कि वो आपके अपनों से आपका रिश्ता ही खत्म कर दे।
अगर आप अपनों से किसी बात पर गुस्सा हैं तो बेशक गुस्सा रहिए लेकिन अपने रिश्ते को इतना समय जरूर दीजिये कि वो आप का गुस्सा शान्त होने तक जिन्दा रहे ।
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जीवन के आधारभूत सत्य
Spiritualहर इंसान के जीवन में ऐसा समय जरूर आता है जब उसे समझ में नहीं आता कि वो क्या करे और क्या न करे या किधर जाये किधर न जाये ऐसे में कुछ आधारभूत सत्य उसका मार्गदर्शन कर सकते है ।