कहने के साथ सुनना भी जरूरी है

252 2 0
                                    

प्रायः देखने मेँ आता है कि लोग दूसरों से तो मजाक खूब करते है जो मन मेँ आता है कह देते हैँ लेकिन अगर कोई दूसरा उनसे कुछ मजाक करता है तो वे बुरा मान जाते हैँ,या रूठ जाते हैँ या परिवार वालों से,दोस्तों आदि से बातें करना ही बन्द कर देते हैँ ।
इस तरह का व्यवहार रिश्तों को और उलझा कर रख देता है । ऐसे लोगों का स्वाभाव जल्दी जल्दी बदलता रहता है पल में प्रेम तो दूसरे ही पल नफरत करते हैँ । ऐसे इँसान से लोग दूरी बनाने लगते हैँ और कोई रिश्ता रखने से कतराने लगते हैँ ।
तो मेरा कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि अगर आप भी इस तरह के व्यवहार करते है तो सम्भल जाइये क्योंकि आपके इस तरह के व्यवहार से लोग आपके करीब न आकर आपसे दूर जाने लगते हैँ ।
इसलिये बेहतर होगा कि आप अपने आप में सुधार लाइये और अपने आप में अपनी बात कहने के साथ साथ दूसरों की बात सुनने और समझने की क्षमता का विकास कीजिए ।

जीवन के आधारभूत सत्यजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें