जख्मों को प्यार की जरूरत है

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अगर कोई इंसान दुखी है तो उसे और उसके दुख को समझने की कोशिश कीजिए न कि उसे डाटिए या कोसिए।
हो सकता है आपकी बात आपकी डाँट उसे और दुखी कर दे ।
दुखी या अवसाद ग्रसित इंसान से ऐसी बात कीजिए कि उसे एहसास हो कि आप उसका दुख बाँटना चाहते हैं ऐसा न लगे कि आप उसका मजाक बना रहे हो या खिल्ली उडाना चाह रहे हो... याद रखिए अवसाद ग्रस्त इंसान का दिमाग अस्थिर रहता है आपकी एक गलती उसकी नजर मे आपको दुश्मन बना सकती है।
इसलिए किसी के जख्म या दुख पर प्यार औऱ सहानुभूति का मरहम लगाया जाता है कडवी बात का नमक नही।

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