कल आज और कल

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बीज से है वृक्ष बना, वृक्ष से उपजा फल,
यही कहानी जीवन की, कल आज और कल|

एक परिवार का संबल, एक है बचपन निर्मल,
एक अतीत का है आँचल, एक है भविष्य चंचल|

एक है जिज्ञासु बचपन, एक है अनुभवों का भंडार,
इन दोनो से भरा पूरा, आज का संसार|

एक सुहानी शाम है, एक है भावी भोर,
आज उन्ही को जोड़े हुए है, थाम के जीवन डोर|

बूँद बूँद से सागर बनता, सागर से बादल,
यही कहानी जीवन की, कल आज और कल|

कल, आज और कल का संगम, है यह रिश्तों का प्रयाग,
कई रंगों के फूलों से सज़ा हुआ यह बाग |

इन महकते फूलों को, आओ मिल कर सीँचे,
मुस्कुराते रिश्तों के छवि, आओ मिल कर खींचे|

एक बारिश में छाता बनता, एक काग़ज़ की नाव,
इन दोनो से भीगा रहता, आज के मन का भाव|

कल फिर आज बनेगा और आज बन जाएगा कल,
आओ मिल कर सॅंजो लें, खुशियों के सुनहरे पल|

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