सूर्योदय

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अब बीतेगी काली रात, एक नया सूर्योदय होगा,
अब जाकर इस भारत का, बच्चा बच्चा निर्भय होगा.

मन में हो चाहे शंका, नाश पाप का निश्चय होगा,
अधर्म की होगी हार, सब धर्मों का विलय होगा.

मचेगा तब हाहाकार, पल में जब प्रलय होगा,
पाप पुण्य का लेखा-जोखा, स्वर्ग-नर्क फिर तय होगा.

कल घटित घटनाओं का, जाने कल क्या आशय होगा,
अज्ञानी को संशय होगा, ज्ञानी को विस्मय होगा.

कामनाओ का क्षय होगा, अध्यात्मिक हर हृदय होगा,
मोक्ष मिलेगा उस प्राणी को, सत्य से जिसका परिचय होगा.

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