मन

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जब जब झाँकु मन के अंदर
दिखता है एक शैतान बन्दर

पकड़ में नहीं वो आता है
नटखट बहुत सताता है

हो जाता हूँ बहुत विवश मैं
कैसे करूँ उसको मैं वश मैं

कभी इधर तो कभी उधर जाये
क्या करूँ की वो सुधर जाये

#अनूप अग्रवाल (आग)

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